संयुक्त राज्य अमेरिकी द्वारा H-1B वीज़ा शुल्क में हालिया वृद्धि भारत के लिए बेहतर अवसर प्रस्तुत करती है। इस अवसर के माध्यम से अब भारत को वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करना चाहिए और रहने योग्य एवं विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी शहर विकसित करने चाहिए।
भारत की शहरी क्षमता और वर्तमान स्थिति:
- आर्थिक इंजन: भारत के केवल 15 शहर देश की GDP में लगभग 30% का योगदान देते हैं।
- इन शहरों को मजबूत करने से राष्ट्रीय संवृद्धि दर में प्रतिवर्ष लगभग 1.5% की वृद्धि हो सकती है।
- भविष्य की संवृद्धि के चालक: भारत के पास पहले से ही विश्व की दूसरी सबसे बड़ी शहरी प्रणाली है, और 2036 तक 40% आबादी शहरों में रहने लगेगी।
प्रमुख शहरी चुनौतियां
- प्रदूषण और गतिशीलता: विश्व के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 6 भारत में हैं। वाहनों से उत्सर्जन और निर्माण कार्यों से उत्पन्न धूल प्रमुख समस्याएं हैं।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन: एकत्रित ठोस अपशिष्ट का केवल 26% ही वैज्ञानिक रूप से उपचारित किया जाता है, और मिश्रित अपशिष्ट का बड़ा हिस्सा हिसा अप्रबंधित रहता है।
- जल संकट: पाइपलाइन से आपूर्ति किए जाने वाले जल का 40–50% हिस्सा लीकेज और कुप्रबंधन के कारण नष्ट हो जाता है।
- शहरी घनत्व और आवास: किफायती आवासों की कमी 2030 तक तीन गुना बढ़कर 3.1 करोड़ इकाइयों तक पहुंच सकती है। इससे निम्न फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) की समस्या उत्पन्न होती है, जो शहरी फैलाव को बढ़ाता है।
- फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) या फ्लोर एरिया रेश्यो (FAR) किसी इमारत के कुल निर्मित क्षेत्र और उसके भूखंड के क्षेत्रफल का अनुपात होता है।
- अन्य मुद्दे: नीति आयोग के अनुसार भीड़भाड़ और गतिशीलता, कमजोर स्थानीय शासन, पुराने विनियमन आदि।
प्रस्तावित उपाय
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