हाल ही में, चीन ने पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में अदन की खाड़ी और सोमालिया के तट पर एस्कॉर्ट मिशन (सुरक्षा) के लिए अपना एक नया नौसैनिक बेड़ा भेजा।
पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र (WIOR) का महत्त्व
- सामरिक एवं भू-राजनीतिक: यह मध्य पूर्व, अफ्रीका और एशिया को जोड़ने वाले प्रमुख समुद्री मार्गों को जोड़ता है।
- इसमें होर्मुज जलडमरूमध्य, बाब अल-मन्देब जलडमरूमध्य और मोजाम्बिक चैनल जैसे महत्वपूर्ण चोकपॉइंट्स (अत्यंत व्यस्त जलमार्ग) शामिल हैं।
- ऊर्जा सुरक्षा: अकेले होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से वैश्विक तेल पोत परिवहन का लगभग 20% गुजरता है।

- अफ्रीका का प्रवेशद्वार: यह एशिया और अफ्रीका के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है।
- आर्थिक: पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में महासागर आधारित संसाधन और उस पर निर्भर आर्थिक गतिविधियों का आर्थिक मूल्य लगभग 333.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- भारत के लिए महत्त्व:
- हिंद-प्रशांत सहयोग: यह फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों के साथ भारत की भागीदारी को मजबूत करता है।
- समग्र सुरक्षा प्रदाता: यह क्षेत्रीय शक्ति के रूप में भारत की छवि और प्रभाव को बढ़ाता है।
- ब्लू इकोनॉमी: यह भारत के डीप ओशन मिशन लिए काफी महत्त्व रखता है।
पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र (WIOR) के समक्ष चुनौतियां
- उभरते समुद्री खतरे: इनमें समुद्री डकैती, विदेशी वनस्पतियों व जीवों की तस्करी, हथियारों का अवैध परिवहन, मादक पदार्थों की तस्करी, अनधिकृत मत्स्यन, मानव तस्करी आदि शामिल हैं।
- चीन का बढ़ता प्रभाव: चीन अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए "ऋण-जाल कूटनीति" जैसी नीतियों का इस्तेमाल कर रहा है। उदाहरण के लिए- जिबूती में चीन का सैन्य अड्डा और पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह।
- संघर्षों का प्रभाव: उदाहरण के लिए- यमन में संघर्ष (हूती लड़ाके)।
- गैर-परंपरागत खतरे: जलवायु परिवर्तन जनित पर्यावरणीय खतरे आदि।
पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र (WIOR) में अपने हितों की रक्षा के लिए भारत के उपाय
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