भारत ट्रॉपिकल फ़ॉरेस्ट्स फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) में एक पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होने के लिए तैयार है | Current Affairs | Vision IAS
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भारत, ट्रॉपिकल फ़ॉरेस्ट्स फॉरएवर फैसिलिटी में शामिल होने की तैयारी कर रहा है, जो ब्राजील द्वारा सतत वन संरक्षण, जलवायु शमन और 70 से अधिक उष्णकटिबंधीय देशों को सहायता देने के लिए शुरू किया गया एक वैश्विक कोष है।

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ट्रॉपिकल फ़ॉरेस्ट्स फॉरएवर फैसिलिटी (Tropical Forests Forever Facility: TFFF) क्या है?

  • शुरुआत: इस पहल को ब्राजील ने शुरू किया है। 
  • परिचय: यह ब्राजील के बेलेम में COP-30 के अवसर पर स्थापित एक वैश्विक कोष है। इसका गठन वन संरक्षण को एक व्यवहार्य आर्थिक मॉडल बनाने के लिए दीर्घकालिक वित्त प्रदान करने हेतु किया गया है।
  • उद्देश्य: उष्णकटिबंधीय वन वाले देशों (TFCs) को उनके मौजूदा वनों को बनाए रखने के लिए वार्षिक भुगतान करना। इससे वन संरक्षण और विस्तार को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। 
  • वित्त-पोषण तंत्र: यह कोष सार्वजनिक और निजी निवेश के मिश्रण के माध्यम से लगभग 125 बिलियन डॉलर जुटाने का प्रयास करेगा। 
    • इन निवेशों से उत्पन्न प्रतिफलों का उपयोग उन राष्ट्रों को भुगतान करने के लिए किया जाएगा, जो अपने वनों का सफलतापूर्वक संरक्षण कर रहे हैं।
    • 20-25% तक सार्वजनिक निवेश और 70-80% तक निजी निवेश जुटाया जाएगा। 
  • पात्रता: TFFF उष्णकटिबंधीय वन वाले 70 से अधिक देशों का समर्थन कर सकता है। इन्हें कुछ मानदंडों को पूरा करना होगा, जैसे: 
    • वनों की कटाई दर वार्षिक रूप से 0.5% से कम होनी चाहिए; 
    • देशज लोगों और स्थानीय समुदायों को संसाधनों का उचित आवंटन किया जाना चाहिए, आदि।

वन संरक्षण का महत्त्व

  • जलवायु विनियमन: ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के अनुसार, सामूहिक रूप से वन प्रति वर्ष लगभग 7.6 बिलियन टन CO₂ अवशोषित करते हैं। इससे वैश्विक तापन को धीमा करने में मदद मिलती है।
  • जैव विविधता हॉटस्पॉट: WWF के अनुसार, उष्णकटिबंधीय वन पृथ्वी की सतह के केवल 7% हिस्से पर फैले हुए हैं, लेकिन इनमें विश्व की 50% जैव विविधता मौजूद है।
  • मृदा संरक्षण: वन मृदा अपरदन को कम करते हैं और ढलानों को स्थिर करके बाढ़ की तीव्रता को रोकते हैं।
  • अन्य: वनों से लकड़ी, रबड़ आदि के व्यापार के जरिए आर्थिक मूल्य प्राप्त होता है; वन आजीविका संबंधी और सांस्कृतिक समर्थन प्रदान करते हैं; ये औषधीय संसाधन उपलब्ध कराते हैं; वर्षा व जल विज्ञान चक्र बनाए रखने में मदद करते हैं आदि।

वन संरक्षण हेतु अन्य वैश्विक पहलें

  • जैव  विविधता अभिसमय (1992): यह पारिस्थितिक-तंत्रों के संरक्षण व सतत उपयोग और लाभों के न्यायसंगत बंटवारे को प्रोत्साहित करता है।
  • संयुक्त राष्ट्र REDD+ (2008): यह वनों की कटाई को कम करने और कार्बन भंडारण-क्षमता बढ़ाने के लिए विकासशील देशों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करता है।
  • बॉन चैलेंज (2011): इसके तहत वर्ष 2030 तक 350 मिलियन हेक्टेयर निम्नीकृत वनों को पुनर्स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • पेरिस समझौता (2015): यह वनों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के प्रमुख साधन के रूप में मान्यता देता है।
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