केंद्र ने 'अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में मात्स्यिकी के सतत दोहन' नियमों को अधिसूचित किया | Current Affairs | Vision IAS
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    केंद्र ने 'अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में मात्स्यिकी के सतत दोहन' नियमों को अधिसूचित किया

    Posted 10 Nov 2025

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    Article Summary

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    भारतीय मत्स्य पालन नियम व्यावसायिक, सतत और समुदाय-आधारित मॉडल पर केंद्रित हैं, हानिकारक विधियों को रोकते हुए समुद्री संसाधनों का संरक्षण and उपयोग का विस्तार करते हैं।

    इन नियमों को अधिसूचित करने के निम्नलिखित उद्देश्य हैं- 

    • एक समृद्ध और समावेशी नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) के विज़न को साकार करना;
    • भारत के 11,099 किलोमीटर की तटरेखा तथा 23 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक के EEZ की अनुप्रयुक्त क्षमता का उपयोग करना। 
      • विशेष रूप से अंडमान व निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपों के EEZs का उपयोग करना, जिनकी देश के कुल EEZs में 49% की हिस्सेदारी है।

    मुख्य नियमों पर एक नजर

    • सहकारिता और समुदाय-नेतृत्व मॉडल: गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए मछुआरों की सहकारी समितियों तथा मत्स्य किसान उत्पादक संगठनों (FFPOs) को अनन्य प्राथमिकता दी जाएगी।
      • मदर-एंड-चाइल्ड वेसल अवधारणा की शुरुआत: बड़े मदर वेसल्स (Mother Vessels) के साथ छोटी चाइल्ड बोट्स (Child Boats) का उपयोग किया जाएगा। इससे समुद्र के बीच में ही मछली के पोतांतरण (transshipment) की सुविधा प्राप्त होगी। 
    • व्यापक समर्थन और क्षमता निर्माण: मूल्य श्रृंखला में प्रशिक्षण कार्यक्रमों और क्षमता-निर्माण पहलों के माध्यम से किया जाएगा।
      • आसान और किफायती ऋण तक पहुंच: प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) तथा मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (FIDF) के तहत प्रदान की जाएगी।
    • सतत मत्स्यन और समुद्री कृषि को बढ़ावा देना:
      • हानिकारक पद्धतियों पर अंकुश लगाना: LED लाइट फिशिंगपेयर ट्रॉलिंग और बुल ट्रॉलिंग जैसी हानिकारक मत्स्यन पद्धतियों पर रोक लगाई जाएगी। 
      • मत्स्य भंडार को बहाल करने के लिए राज्य सरकारों के परामर्श से मत्स्य प्रबंधन योजनाएं बनाई जाएंगी। 
      • समुद्री कृषि पद्धतियों, जैसे- समुद्री पिंजरा खेती (sea-cage farming) और समुद्री शिवार कृषि (seaweed cultivation) को वैकल्पिक आजीविका के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा।
    • अन्य:
      • नियमों के अंतर्गत मशीनीकृत और बड़े आकार के मोटर चालित जहाजों के लिए एक्सेस पास आवश्यक होगा। इसे ऑनलाइन ReALCRaft पोर्टल के माध्यम से निःशुल्क प्राप्त किया जा सकता है। 
        • छोटे पैमाने के मछुआरों को एक्सेस पास प्राप्त करने से छूट दी गई है। मछली पकड़ने वाले विदेशी जहाजों को भारत के EEZ में संचालन के लिए एक्सेस पास प्राप्त करने की अनुमति नहीं है।
      • भारतीय EEZ से उत्पन्न होने वाले मत्स्य संसाधनों को 'भारतीय मूल' (Indian origin) के रूप में मान्यता दी जाएगी, इत्यादि।

    अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के बारे में:

    • इस अवधारणा को 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) के माध्यम से अपनाया गया था।  
    • यह महासागर का एक क्षेत्र है, जो किसी देश के तट से 200 समुद्री मील तक फैला होता है।
    • किसी देश को अपने EEZ में प्राकृतिक संसाधनों के अन्वेषण और दोहन का अनन्य अधिकार प्राप्त होता है।

     

    • Tags :
    • Blue Economy
    • Exclusive Economic Zone (EEZ)
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