विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के लागू होने के 30 वर्ष पूरे हुए | Current Affairs | Vision IAS
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    विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के लागू होने के 30 वर्ष पूरे हुए

    Posted 10 Nov 2025

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    Article Summary

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    1987 में अधिनियमित और 1995 में क्रियान्वित विधिक सेवा अधिनियम अपनी 30वीं वर्षगांठ मना रहा है, जो देश भर में हाशिए पर पड़े समूहों के लिए मुफ्त कानूनी सहायता, वैकल्पिक विवाद समाधान और कानूनी जागरूकता को बढ़ावा देता है।

    विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 9 नवंबर, 1995 को लागू हुआ था। इसके लागू होने की तिथि को प्रत्येक वर्ष "राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस" के रूप में मनाया जाता है।

    विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के बारे में

    • उद्देश्य: विधिक सहायता संगठनों की स्थापना करना, ताकि आर्थिक या अन्य सामाजिक बाधाओं का सामना करने वाला कोई भी नागरिक न्याय पाने के समान अवसर से वंचित न रहे।  
    • संस्थागत व्यवस्था:
      • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA): भारत के मुख्य न्यायाधीश इसके मुख्य संरक्षक (Patron-in-Chief) होते हैं।
      • राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SLSA): संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इसके मुख्य संरक्षक होते हैं।
      • जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA): इसका अध्यक्ष जिला न्यायाधीश होते हैं। 
    • विधिक सहायता प्राप्त करने के लिए पात्रता: निम्नलिखित वर्गों को निशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार है-
      • अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति (SC/ST),
      • महिलाएं और बच्चे, 
      • मानव तस्करी या आपदाओं के पीड़ित व्यक्ति,
      • मानसिक रूप से बीमार या दिव्यांगजन, 
      • औद्योगिक श्रमिक, 
      • हिरासत में लिया गया व्यक्ति, 
      • जिनकी आय निर्धारित सीमा से कम हो: उच्चतम न्यायालय से जुड़े मामलों के लिए 5 लाख रूपये से कम आय। 
        • राज्य सरकारें अपने स्तर पर इस आय-सीमा को 1 लाख से 3 लाख रुपये तक निर्धारित कर सकती हैं।
      • वरिष्ठ नागरिकों की पात्रता राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए नियमों पर निर्भर करती है। 
    • विधिक सहायता निधि: इस अधिनियम में राष्ट्रीय, राज्य और जिला विधिक सहायता निधियों की स्थापना के प्रावधान हैं।  
    • लोक अदालतों की स्थापना: यह विवाद समाधान की वैकल्पिक प्रणाली है। इन अदालतों में मामलों का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान किया जाता है। 
      • लोक अदालतें अन्य अदालतों में मुकदमा दायर होने से पहले (Pre-litigation) भी मामलों का निपटारा कर सकती हैं। 

    विधिक सहायता प्रदान करने हेतु अन्य पहलें 

    • लीगल एड डिफेंस काउंसिल स्कीम (LADCS): यह NALSA की पहल है।  इसके तहत फौजदारी मामलों में बचाव पक्ष को डिफेंस काउंसिल की निशुल्क सहायता प्रदान की जाती है।
    • दिशा/DISHA योजना: DISHA से आशय है; “न्याय तक समग्र पहुँच के लिए अभिनव समाधान तैयार करना (Designing Innovative Solutions for Holistic Access to Justice)। 
      • इस योजना का उद्देश्य न्याय प्राप्ति में सहायता हेतु डिजिटल सेवाएँ, प्रो-बोनो विधिक सहायता प्रदान करना और मुकदमा-दायर करने से पहले परामर्श देना है।
    • अन्य पहलें: विधिक साक्षरता एवं विधिक जागरूकता कार्यक्रम (Legal Literacy and Legal Awareness Programme - LLLAP) आदि।
    • Tags :
    • Legal Services Authorities Act, 1987
    • National Legal Services Day
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