भारत ने स्पष्ट किया कि जलवायु वित्त-पोषण में कमी जलवायु कार्रवाई के लक्ष्यों को पूरा करने में प्रमुख बाधा है | Current Affairs | Vision IAS
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    भारत ने स्पष्ट किया कि जलवायु वित्त-पोषण में कमी जलवायु कार्रवाई के लक्ष्यों को पूरा करने में प्रमुख बाधा है

    Posted 14 Nov 2025

    Updated 15 Nov 2025

    1 min read

    Article Summary

    Article Summary

    भारत ने वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्पष्ट जलवायु वित्त परिभाषाओं, जलवायु अनुकूलन निधि में वृद्धि, पेरिस समझौते के अनुपालन और न्यायसंगत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की आवश्यकता पर बल दिया।

    जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (UNFCCC) के पक्षकारों का 30वां सम्मेलन (CoP30) ब्राजील के बेलेम में आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन के दौरान बेसिक (BASIC) तथा ‘समान विचारधारा वाले विकासशील देशों (LMDC)’ के समूह की ओर से भारत ने बयान जारी किए और इसमें जलवायु वित्त पोषण की महत्ता को रेखांकित किया।

    • बेसिक (BASIC) समूह  के सदस्य हैं; ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन। 

    भारत के पक्ष के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

    भारत ने निम्नलिखित मांगें रखीं हैं:

    • स्पष्ट परिभाषा: जलवायु वित्तपोषण की एक स्पष्ट और सभी देशों को स्वीकार्य परिभाषा तय की जाए।
    • जलवायु-अनुकूलन में वित्तपोषण: जलवायु अनुकूलन से जुड़े कार्यों में लोक-वित्त निवेश में सुधार किए जाएं और इसे व्यापक स्तर पर बढ़ाया जाए
      • अनुकूलन कार्यों में वित्तीय निवेश को वर्तमान की तुलना में लगभग 15 गुना अधिक करने की जरूरत है।  
      • वैश्विक अनुकूलन लक्ष्य (Global Goal on Adaptation: GGA) प्राप्ति की दिशा में ठोस प्रगति की आवश्यकता है। यह अनुकूलन क्षमता को बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से मजबूती से निपटने और जलवायु परिघटनाओं से जुड़े खतरों को कम करने के लिए जरुरी है। 
        • वैश्विक अनुकूलन लक्ष्य (GGA), पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौता 2015  के अनुच्छेद 7 के तहत तय किए गए हैं।  
    • अनुच्छेद 9.1 का अनुपालन: पेरिस समझौते के अनुच्छेद 9.1 का कार्यान्वयन होना चाहिए। यह अनुच्छेद विकासशील देशों को उपशमन यानी उत्सर्जन में कमी लाने और अनुकूलन, दोनों में सहायता हेतु वित्तीय संसाधन प्रदान करने हेतु विकसित देशों के कानूनी दायित्व की पुष्टि करता है।
    • जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु प्रौद्योगिकियां: ‘प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन कार्यक्रम (Technology Implementation Programme)’ की दिशा में ठोस प्रगति होनी चाहिए ताकि प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण में बौद्धिक संपदा अधिकार और बाजार संबंधी बाधाएं रुकावट न बनें।   
      • पेरिस समझौते पर ‘प्रथम ग्लोबल स्टॉकटेक’ के परिणामस्वरूप ‘प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन कार्यक्रम’ का शुभारंभ हुआ।   
    • ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ के देशों के बीच विकास में असमानता को कम करना: ‘UNFCCC-जस्ट ट्रांजिशन वर्क प्रोग्राम’ के तहत ऐसी संस्थागत व्यवस्थाएं विकसित की जाएं जिससे विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाओं में समान और समावेशी रूप से जलवायु परिवर्तन अनुकूलन सुनिश्चित हो सके।  

    अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमत जलवायु वित्त-पोषण लक्ष्य

    • बाकू से बेलेम रोडमैप– 1.3 T (ट्रिलियन) लक्ष्य: UNFCCC-CoP29 में पक्षकार देशों ने ‘नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (New Collective Quantified Goal: NCQG)’ पर सहमति व्यक्त की थी। इसमें विकासशील देशों के लिए प्रतिवर्ष न्यूनतम 300 बिलियन डॉलर जुटाने का लक्ष्य वर्ष 2035 तक प्राप्त करना भी शामिल है।
      • इसमें एक व्यापक लक्ष्य वर्ष 2035 तक बाह्य वित्तीय सहायता बढ़ाकर प्रतिवर्ष 1.3 ट्रिलियन डॉलर करना भी शामिल  है।
    • ग्लासगो जलवायु समझौता: इसके तहत विकसित देशों ने यह वचन दिया कि वे 2025 तक विकासशील देशों को जलवायु-अनुकूलन हेतु 40 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे।  
    • Tags :
    • Like-Minded Developing Countries (LMDC)
    • Global Goal on Adaptation (GGA)
    • Climate Finance Targets
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