इस रिपोर्ट में वैश्विक जल चक्र की स्थिति का सारांश प्रस्तुत किया गया है। साथ ही, इसमें प्रमुख जल विज्ञान संबंधी घटनाओं का विश्लेषण और प्रमुख प्रवृत्तियों को उजागर किया गया है।
जल चक्र (Water Cycle)

- जल चक्र पृथ्वी और वायुमंडल के भीतर जल की सभी अवस्थाओं (ठोस, तरल और गैस) में संचरण को दर्शाता है।
- तरल अवस्था वाला जल वाष्पित होकर जलवाष्प बन जाता है। बाद में ये जलवाष्प संघनित होकर बादलों का निर्माण करते हैं तथा वर्षा और हिम के रूप में पृथ्वी पर वापस आ जाते हैं।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर (जल चक्र की स्थिति)
- 2024 में जल-संबंधी आपदाओं के कारण:
- 8,700 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई;
- 40 मिलियन लोग विस्थापित हो गए; तथा
- 550 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ।
- मृदा में मौजूद जल के मामले में काफी क्षेत्रीय विषमताएं देखी गई हैं। जैसे दक्षिण अमेरिका और दक्षिणी अफ्रीका में अत्यधिक शुष्क मृदा तथा पश्चिमी अफ्रीका में आर्द्र मृदा की दशाएं पाई गई हैं।
- झीलों और जलाशयों में जल भंडारण में लगातार पांचवें वर्ष गिरावट दर्ज की गई है।
जल चक्र पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
- तीव्रता: जलवायु परिवर्तन ने जल चक्र की तीव्रता को 7.4% तक बढ़ा दिया है।
- गंभीर तूफान: गर्म हवा अधिक जलवाष्प को धारण कर सकती है, जैसे प्रत्येक 1°C तापमान वृद्धि पर अधिक आर्द्रता धारण करने की क्षमता 7% तक बढ़ जाती है। इससे वर्षा की तीव्रता, अवधि और आवृत्ति बढ़ जाती है।
- सूखा: तापमान वृद्धि से अधिक वाष्पीकरण होता है, मिट्टी सूखती है और सूखे का खतरा बढ़ता है।
- हाल के दशकों में अत्यधिक शुष्क महीने आम हो गए हैं।
- समुद्र जल स्तर में वृद्धि: तापीय विस्तार और पिघलती बर्फ से समुद्र जल स्तर में वृद्धि हो रही है। साथ ही, महासागरीय अम्लीकरण से समुद्री जीवन प्रभावित हो रहा है।