एक संसदीय समिति के अनुसार दवाओं की बढ़ती कीमतों का आम नागरिकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है | Current Affairs | Vision IAS
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संसदीय समिति ने दवाओं की ऊंची लागत, सीमित मूल्य विनियमन, विलंबित सुधारों पर प्रकाश डाला तथा नागरिकों के लिए सामर्थ्य में सुधार लाने के लिए टीएमआर जैसे स्थायी उपायों का आग्रह किया।

In Summary

रसायन और उर्वरक संबंधी स्थायी समिति ने निम्नलिखित पर चिंता व्यक्त की है-

  • अत्यधिक मुनाफ़ाखोरी;
  • विलंबित नीतिगत सुधार; और 
  • आवश्यक दवाओं तक वहनीय पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कानूनी तंत्र की अनुपस्थिति। 

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

  • अत्यधिक मुनाफे के कारण महंगी होती दवाइयां: सामान्य रूप से उपयोग की जाने वाली कई दवाओं पर अत्यधिक मुनाफा होता है, जो कभी-कभी 500% से 1800% के बीच होता है। इससे वे आम नागरिकों के लिए अवहनीय हो जाती हैं।
  • मूल्य नियंत्रण केवल कुछ दवाओं पर लागू: केवल राष्ट्रीय आवश्यक औषधि सूची (NRLM) के तहत सूचीबद्ध आवश्यक दवाइयां ही मूल्य-नियंत्रित होती हैं। अन्य दवाइयां (गैर-अनुसूचित दवाइयां) प्रारंभिक मूल्य निर्धारण चरण में विनियमित नहीं होती हैं। इससे कंपनियों को बहुत अधिक MRPs निर्धारित करने की अनुमति मिलती है।
  • मूल्य निर्धारण में कमजोर पारदर्शिता: सरकार और राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) के पास वास्तविक लागत डेटा {जैसे- प्राइस टू स्टॉकिस्ट (PTS)} तक पहुंच नहीं है। इससे प्रत्येक स्तर पर कितना मुनाफा जोड़ा गया है, इसकी कोई जानकारी नहीं मिल पाती है।
  • व्यापार मार्जिन युक्तिकरण (TMR) में देरी: हालांकि, व्यापार मार्जिन को सीमित करने के लिए TMR का पहले परीक्षण किया गया था और कैंसर दवाओं की कीमतों को कम करने में अच्छे परिणाम प्राप्त हुए थे, लेकिन वर्षों की चर्चा के बावजूद इसे अभी तक स्थायी नीति नहीं बनाया गया है।

महत्वपूर्ण सिफारिशें

  • व्यापार मार्जिन युक्तिकरण (TMR): TMR को एक कानूनी और स्थायी उपकरण बनाना चाहिए। इससे आपूर्ति श्रृंखला में दवाओं की कीमतें बढ़ाई नहीं जा सकेंगी।
  • गैर-अनुसूचित दवाइयों की कीमतों पर नियंत्रण: सामान्य रूप से उपयोग की जाने वाली दवाओं के तेजी से बढ़ते मूल्य निर्धारण की जांच के लिए एक तंत्र स्थापित करना चाहिए। ये दवाइयां वर्तमान में सख्त विनियमन से बाहर हैं। 
  • स्टेंट की कीमतों को कम और मॉनिटर करना: यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्टेंट को कभी भी NPPA द्वारा निर्धारित कीमतों से ऊपर न बेचा जाए। साथ ही, उनकी लागत को और कम करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। 
  • कैंसर की दवाओं के मूल्य निर्धारण को पारदर्शी बनाना: कंपनियों, अस्पतालों और ऑनलाइन विक्रेताओं से वास्तविक समय मूल्य निर्धारण डेटा एकत्र करने के लिए एक प्रणाली निर्मित करनी चाहिए। साथ ही, वास्तविक उत्पाद और उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को विनियमित करना चाहिए। 

औषधि विनियामक और संस्थागत फ्रेमवर्क

  • औषध विभाग (DoP): यह केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अधीन है। 
  • राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA): यह औषध विभाग के तहत एक स्वतंत्र निकाय है। इसे औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश (DPCO) को लागू करने और प्रवर्तित करने का कार्य सौंपा गया है।
  • औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश (DPCO), 2013: इसके तहत राष्ट्रीय आवश्यक औषधि सूची (NLEM) के आधार पर कीमतों को नियंत्रित किया जाता है।
  • राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण नीति (NPPP), 2012: इसका उद्देश्य आवश्यक दवाओं की उचित कीमतों पर उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
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