भारत और नीदरलैंड ने NMHC (राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर) पर सहयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
NMHC (राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर) के बारे में
- स्थान: यह गुजरात के लोथल में स्थित है। इसका उद्देश्य भारत की 4,500 वर्ष पुरानी समुद्री विरासत को प्रदर्शित करना है।
- लोथल का महत्व: लोथल सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल है। यहां विश्व का सबसे प्राचीन मानव निर्मित डॉकयार्ड (गोदीबाड़ा) खोजा गया है।
- लोथल को गुजराती भाषा में मृतकों का टीला कहा जाता है।
- लोथल का महत्व: लोथल सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल है। यहां विश्व का सबसे प्राचीन मानव निर्मित डॉकयार्ड (गोदीबाड़ा) खोजा गया है।
- विकास: इसका विकास पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के 'सागरमाला कार्यक्रम' की परियोजना श्रेणी के तहत किया जा रहा है।
- NMHC मास्टर प्लान के तहत परियोजनाएं: इसके अंतर्गत राष्ट्रीय समुद्री संग्रहालय, स्मारक थीम पार्क्स, राज्यों के मंडप (State Pavilions) आदि का निर्माण किया जाएगा।
Article Sources
1 sourceGeM (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) ने पिछले चार वर्षों में स्क्रैप (कबाड़), ई-अपशिष्ट, पुराने वाहनों जैसी परिसंपत्तियों के निपटान के माध्यम से ₹2,200 करोड़ जुटाए हैं।
GeM (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) के बारे में
- संरचना: इसे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत वाणिज्य विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन स्थापित किया गया है। यह एक 'सेक्शन 8 कंपनी' (कंपनी अधिनियम की धारा 8) है।
- शुरुआत: इसे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने 2016 में लॉन्च किया था।
- कार्य: यह विभिन्न सरकारी विभागों, संगठनों और सार्वजनिक क्षेत्रक के उपक्रमों (PSUs) द्वारा आवश्यक सामान्य उपयोग की वस्तुओं एवं सेवाओं की ऑनलाइन खरीद की सुविधा प्रदान करता है।
- महत्व: सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता, दक्षता और गति को बढ़ाना।
'डार्क स्टोर्स' में हालिया वृद्धि भारत के 'क्विक-कॉमर्स' बाजार में बढ़ते रुझान को दर्शाती है।
- क्विक कॉमर्स का तात्पर्य ऑनलाइन ऑर्डर किए गए सामानों की तेजी से डिलीवरी से है। यह डिलीवरी आमतौर पर 10-30 मिनट के भीतर कर दी जाती है।
डार्क स्टोर्स के बारे में
- इन्हें सामान्य रिटेल स्टोर की तरह ही स्टॉक किया जाता है, लेकिन इनका उपयोग केवल भंडारण के लिए किया जाता है और ये जनता के लिए खुले नहीं होते हैं।
- ये क्विक-कॉमर्स कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण कार्यशील अवसंरचना हैं।
- ये डिस्पैच सॉफ्टवेयर का उपयोग करके स्वचालित ऑर्डर विवरण प्रदान करते हैं। यह सॉफ्टवेयर इस विवरण को तेजी से वेयरहाउस स्टाफ और डिलीवरी कर्मियों तक पहुंचा देता है। इससे त्वरित एवं कुशल डिलीवरी सुनिश्चित होती है।
उच्चतम न्यायालय ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के संरक्षण के लिए सुरक्षा उपायों को और कठोर कर दिया है। इसके लिए न्यायालय ने राजस्थान और गुजरात में हरित ऊर्जा गलियारा (GEC) परियोजनाओं के संबंध में संरक्षण क्षेत्रों में संशोधन किया है।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के बारे में
- पर्यावास: शुष्क और अर्ध-शुष्क घास के मैदान, कांटेदार झाड़ियों वाला खुला क्षेत्र, लंबी घासों से युक्त कृषि भूमि क्षेत्र आदि। यह जमीन पर रहने वाला पक्षी है।

- वितरण: यह भारतीय उपमहाद्वीप का स्थानिक (Endemic) पक्षी है। यह मुख्य रूप से राजस्थान और गुजरात में पाया जाता है। इसकी कुछ लघु आबादी महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी है।
- आहार: यह घास के बीज, टिड्डियों और भृंग (beetles) जैसे कीड़ों तथा कभी-कभी छोटे कृंतकों (rodents) व सरीसृपों को खाता है।
- खतरे: अवसंरचनाओं के विकास, जैसे कि बिजली की लाइनों (high-tension wires) के कारण इनके पर्यावास को नुकसान होना।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN स्थिति: क्रिटिकली एंडेंजर्ड।
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-I में सूचीबद्ध है।
- CITES: परिशिष्ट-I में सूचीबद्ध है।
- यह प्रजाति “वन्यजीव पर्यावासों के एकीकृत विकास के तहत प्रजातियों की पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम” में शामिल है।
कुट्टनाड के धान के खेतों में मृदा के परीक्षणों से पता चला है कि वहां एल्यूमीनियम का स्तर सुरक्षित सीमा से अधिक हो गया है। उल्लेखनीय है कि कुट्टनाड के धान के खेत कुट्टनाड आर्द्रभूमि कृषि प्रणाली का हिस्सा हैं।
- जैसे ही मृदा का pH मान 5 से नीचे गिरता है, एल्युमीनियम अधिक घुलनशील और विषाक्त हो जाता है।
- एल्युमीनियम का अत्यधिक स्तर पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाता है। साथ ही यह फास्फोरस, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को ग्रहण करने की पौधे की क्षमता को बाधित भी करता है।
कुट्टनाड आर्द्रभूमि कृषि प्रणाली (केरल) के बारे में
- यह प्रणाली खंडित कृषि भूमि परिदृश्यों का एक जटिल मिश्रण है। इसे निम्नलिखित तीन संरचनाओं में विभाजित किया गया है:
- मछली पकड़ने और धान की खेती के लिए उपयोग की जाने वाली आर्द्रभूमियां;
- खाद्य फसलों के रोपण के लिए उपयोग की जाने वाली उद्यान भूमि, और
- अंतर्देशीय मत्स्यन और शेल्स एकत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले जल क्षेत्र।
- यह भारत की एकमात्र ऐसी प्रणाली है, जिसमें धान की खेती समुद्र तल से नीचे लवणीय जल में डेल्टाई दलदलों को सुखाकर प्राप्त की गई भूमि पर की जाती है।
- इसे FAO (खाद्य और कृषि संगठन) की वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली (GIAHS) के अंतर्गत शामिल किया गया है।
एक नए अध्ययन के अनुसार, दक्षिणी महासागर का गहरा जल ऊपर की ओर उठ रहा है। इससे उप-सतही परत (subsurface layer) में कार्बन डाइऑक्साइड के दबाव में वृद्धि हो रही है।
दक्षिणी महासागर के बारे में:
- यह पृथ्वी के पांच विशाल महासागरीय बेसिनों में से एक है।
- इसे अंटार्कटिक महासागर के नाम से भी जाना जाता है।
- यह 60 डिग्री दक्षिणी अक्षांश और अंटार्कटिका के तट के बीच स्थित है। यह 360 डिग्री देशांतर तक फैला हुआ है।
- इसमें अमुंडसेन सागर, बेलिंग्सहॉसन सागर, ड्रेक पैसेज का हिस्सा, रॉस सागर, स्कॉटिया सागर का एक छोटा हिस्सा, वेडेल सागर और अन्य सहायक जल निकाय शामिल हैं।
- यह संपूर्ण विश्व में जल के परिसंचरण (circulation) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने उन दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है, जिनमें अंडों में कैंसरकारी तत्व होने की बात कही गई थी।
भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के बारे में
- मंत्रालय: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय।
- स्थापना: खाद्य संरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत।
- अधिदेश (Mandate): यह विज्ञान-आधारित मानक निर्धारित करता है। साथ ही, खाद्य पदार्थों के निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करता है, ताकि खाद्य संरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- प्रमुख पहल: ईट राइट इंडिया अभियान।
- शासी संरचना: इसमें एक 'खाद्य प्राधिकरण' शामिल है, जिसमें एक अध्यक्ष और 22 सदस्य होते हैं। इन सदस्यों में से एक-तिहाई महिलाएं होती हैं।
भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT-In) ने एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें भारतीय उपयोगकर्ताओं को व्हाट्सएप अकाउंट टेकओवर कैंपेन (Ghost Pairing) के बारे में चेतावनी दी गई है।
घोस्ट पेयरिंग के बारे में
- यह क्या है: यह एक नया साइबर स्कैम है। यह हैकर्स को पासवर्ड या सिम कार्ड की आवश्यकता के बिना व्हाट्सएप अकाउंट को टेकओवर करने में सक्षम बनाता है।
- यह कैसे कार्य करता है: यह हमला व्हाट्सएप के 'डिवाइस-लिंकिंग' फीचर का लाभ उठाता है। इसमें उपयोगकर्ताओं को धोखा देकर एक फर्जी लेकिन असली दिखने वाले 'पेयरिंग कोड' को अप्रूव करा लिया जाता है।
- उपयोगकर्ताओं को "हाय, चेक दिस फोटो" जैसे भ्रामक संदेश मिलते हैं, जो अकाउंट को टेकओवर करने की प्रक्रिया शुरू करते हैं।
- अकाउंट हाईजैकिंग: एक बार लिंक हो जाने के बाद, हमलावर का डिवाइस एक 'छिपे हुए भरोसेमंद डिवाइस' (hidden trusted device) के रूप में उपयोगकर्ताओं के अकाउंट का पूरा एक्सेस प्राप्त कर लेता है।