'शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण' राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 का एक मुख्य स्तंभ है। इसका उद्देश्य भारत के घरेलू उच्चतर शिक्षा तंत्र को वैश्विक स्तर पर एकीकृत प्रणाली में बदलना है। इस कार्य को संपन्न करने के लिए मुख्य माध्यम निम्नलिखित हैं:
- भारतीय उच्चतर शिक्षा संस्थाओं (HEIs) में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और संकायों (Faculty) के अनुपात में वृद्धि करके;
- भारत में शीर्ष वैश्विक शिक्षा संस्थाओं के स्थानीय परिसरों की उपस्थिति बढ़ाकर;
- भारतीय HEIs का भारत से बाहर विस्तार करके आदि।
भारत को अपनी उच्चतर शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण की आवश्यकता क्यों है?
- देश से बाहर विप्रेषण (Outward Remittances): पिछले एक दशक में इसमें 2,000% से अधिक की वृद्धि हुई है। यह 2023–24 में लगभग 3.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था, जो भारत के केंद्रीय उच्चतर शिक्षा बजट का लगभग 53% है।
- गुणवत्ता का लोकतंत्रीकरण: घरेलू संस्थाओं में पढ़ने वाले 97% भारतीय छात्र उच्च गुणवत्ता वाली विश्व स्तरीय शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे, जो वैश्विक मानकों के अनुरूप होगी।
- वैश्विक तैयारी: भारतीय परिसरों में अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क, संकाय विनिमय और वैश्विक पाठ्यक्रम को शामिल करके, देश अपने विशाल कार्यबल को "वैश्विक रूप से तैयार" और वैश्विक प्रतिभा पूल में प्रतिस्पर्धी बना सकेगा।
- अन्य:
- प्रतिभा पलायन (Brain Drain) को रोकना;
- प्रवासी भारतीयों (Diaspora) का लाभ उठाना;
- वैश्विक रैंकिंग में सुधार करना (जैसे- अंतर्राष्ट्रीय छात्र और संकाय अनुपात बढ़ाना);
- सॉफ्ट पावर का प्रदर्शन करना (जैसे- अबू धाबी में IIT दिल्ली का विदेशी परिसर) आदि।
नीति आयोग द्वारा नीतिगत सिफारिशें
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