पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम (PESA), 1996 की 30वीं वर्षगांठ मनाई गई | Current Affairs | Vision IAS
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पीईएसए अधिनियम जनजातीय स्थानीय शासन का विस्तार करता है, पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को सशक्त बनाता है, लेकिन धन, समयसीमा और संस्थागत समर्थन की कमी के कारण इसका कार्यान्वयन अपर्याप्त रहा है।

In Summary

पेसा (PESA) अधिनियम के तहत पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) का विस्तार पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासी बहुल अनुसूचित क्षेत्रों में किया गया। 

  • संविधान के अनुच्छेद 244 के अंतर्गत पांचवीं अनुसूची के तहत अनुसूचित क्षेत्रों के लिए प्रावधान किए गए हैं। 
  • पंचायती राज संस्थाओं को 73वें संविधान संशोधन अधिनियम (1993) के माध्यम से संवैधानिक दर्जा दिया गया, ताकि ग्राम, प्रखंड और जिला स्तर पर स्थानीय स्वशासन प्रणाली स्थापित हो सके।
    • हालांकि, 10 राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों को उपर्युक्त प्रावधान के दायरे से बाहर रखा गया। ये 10 राज्य हैं: आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना।

पेसा अधिनियम के प्रमुख प्रावधान  

  • ग्राम सभा का सशक्तिकरण: भूमि अधिग्रहण, विकास परियोजनाओं, लघु वनोपज, लघु खनिज जैसे स्थानीय संसाधनों के प्रबंधन के लिए ग्राम सभा की अनिवार्य सहमति प्राप्त करने का प्रावधान है। 
  • अधिकार: ग्राम सभा और पंचायतों को निम्नलिखित विषयों में निर्णय लेने का अधिकार है; 
    • किसी भी प्रकार के नशीले/मादक पदार्थों की बिक्री और उपभोग को प्रतिबंधित या विनियमित करने,
    • भूमि संरक्षण और भूमि हस्तांतरण,
    • ग्राम हाट का प्रबंधन,
    • साहूकारी (मनी-लेंडिंग) पर नियंत्रण आदि
  • संस्कृति का संरक्षण: यह अधिनियम आदिवासी समुदायों की पारंपरिक शासन प्रणालियों, प्रथागत कानूनों,और सांस्कृतिक पहचान को मान्यता देता है और उनका संरक्षण करता है।
  • कानूनी सर्वोच्चता: पेसा अधिनियम को संविधान के प्रावधानों के तहत बनाई गई सामान्य नियमावलियों और राज्य विधान मंडलों द्वारा बनाए गए कानूनों पर सर्वोच्चता प्रदान की गई है।  

पेसा अधिनियम की कमियां/सीमाएं

  • PESA अधिनियम के लागू होने के तीन दशक पूरे होने के बावजूद, यह आदिवासी स्वशासन का पूर्ण रूप से साकार ढांचा नहीं बन पाया है। इसके लिए प्रमुख उत्तरदायी कारण निम्नलिखित हैं:
    • अधिनियम के तहत नियम बनाने के लिए अनिवार्य समय-सीमा का अभाव,
    • ग्राम सभाओं की तुलना में नौकरशाही ढांचे का वर्चस्व,
    • अपर्याप्त वित्त और कार्य आवंटन तथा कर्मियों की कम उपलब्धता

पेसा अधिनियम, 1996 के क्रियान्वयन को प्रभावी बनाने हेतु उठाए गए कदम

  • PESA–GPDP पोर्टल: सितंबर 2024 में पेसा–ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) पोर्टल शुरू किया गया। इस पोर्टल का उद्देश्य विकास गतिविधियों की योजना बनाना और इनकी निगरानी करना तथा संसाधन आवंटन को सुगम बनाना है।  
  • संस्थागत समर्थन: केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने एक अलग पेसा प्रकोष्ठ (PESA Cell) की स्थापना की है। साथ ही, क्षमता निर्माण को संस्थागत रूप देने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालयों (जैसे-इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय) में उत्कृष्टता केंद्र (Centres of Excellence) स्थापित किए जा रहे हैं।
  • स्थानीय भाषाओं में प्रसार: प्रशिक्षण पुस्तिकाओं का क्षेत्रीय भाषाओं (तेलुगु, मराठी, आदि) तथा जनजातीय भाषाओं (संथाली, गोंडी, भीली और मुंडारी) में अनुवाद किया जा रहा है।
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