केंद्र सरकार ने ‘वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI)’ की सहायता से 608 करोड़ की धोखाधड़ी रोकी | Current Affairs | Vision IAS
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भारत सरकार ने 608 करोड़ की धोखाधड़ी रोकी, इन्वेस्टर सुरक्षा के लिए वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक और डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म का उपयोग कर साइबर अपराधों का मुकाबला किया।

In Summary

वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (Financial Fraud Risk Indicator) भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा शुरू किया गया मापक (मीट्रिक) है। इसका उद्देश्य साइबर धोखाधड़ी और वित्तीय अपराधों से निपटना है। 

वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) के बारे में

  • यह वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े जोखिमों का आकलन करने वाला उपकरण है। यह उन मोबाइल नंबरों की पहचान करता है जिनके वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल होने की आशंका होती है।
  • यह डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) के तहत विकसित एक बहुआयामी विश्लेषणात्मक उपकरण है।
  • कार्यप्रणाली: यह उपकरण बैंकों, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और नागरिकों की रिपोर्ट्स से प्राप्त इनपुट के आधार पर मोबाइल नंबरों को मध्यम, उच्च और अधिक उच्च जोखिम श्रेणियों में वर्गीकृत करता है।
  • उपयोगिता: यह उपकरण बैंकों और वित्तीय संस्थानों को प्रारंभिक चेतावनी देने, अधिक सावधानी बरतने और धोखाधड़ी वाले लेनदेन को रोकने में मदद करता है। 

डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) के बारे में

  • यह एक सुरक्षित और रियल-टाइम में डेटा-साझा करने वाला प्लेटफॉर्म है। यह प्लेटफार्म दूरसंचार ऑपरेटर्स, बैंकों, वित्तीय-प्रौद्योगिकी (फिनटेक) संस्थानों और सरकारी संगठनों को एक साथ जोड़ता है।
  • कवरेज: साइबर धोखाधड़ी की पहचान करने में समन्वय हेतु बड़ी संख्या में वित्तीय संस्थानों को इस प्लेटफार्म से जोड़ा गया है।
    • इस प्लेटफार्म से 1000 से अधिक संगठन जुड़े हुए हैं। इनमें केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां, 36 राज्य/संघ-राज्य क्षेत्रों की पुलिस, बैंक, वित्तीय संस्थान तथा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (जैसे कि वॉट्सऐप) शामिल हैं।
  • उपयोगिता: यह प्लेटफार्म दूरसंचार पहचानकर्ताओं (IMEI, मोबाइल नंबर, सिम आईडी) के दुरुपयोग का पता लगाने और उसे रोकने के लिए त्वरित और प्रभावी तरीके से खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान को संभव बनाता है। 

साइबर धोखाधड़ी की रोकथाम हेतु अन्य प्रमुख पहलें

  • वैधानिक पहलें: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 लागू किया गया है। 
  • संस्थागत पहलें: केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) का गठन किया गया है। यह एक केंद्रीय मंच है जो साइबर अपराध से निपटने में समन्वय, जांच में सहयोग और क्षमता निर्माण सुनिश्चित करता है।
    • I4C ने नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली शुरू की है।
  • संचार साथी पहल: यह मोबाइल उपभोक्ताओं को सशक्त बनाती है और चक्षु (Chakshu) जैसी पहलों के माध्यम से जागरूकता का प्रसार करती है। 
    • चक्षु  के माध्यम से पीड़ित व्यक्ति किसी संदिग्ध धोखाधड़ी संचार (वार्ता) की रिपोर्ट कर सकता है।
  • अन्य पहलें: समन्वय नामक प्लेटफॉर्म विश्लेषण के आधार पर अंतरराज्यीय आपराधिक नेटवर्क और अपराधों की कड़ियों की पहचान करके साइबर धोखाधड़ी की जांच में सहयोग करता है। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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