न्यायपालिका में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर सर्वोच्च न्यायालय का रुख
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक प्रणाली के भीतर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) के उपयोग को विनियमित करने के उद्देश्य से दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर विचार करने से इनकार कर दिया है।
चिंताएँ व्यक्त की गईं
- न्यायिक प्रक्रियाओं में AI-जनित सामग्री का दुरुपयोग होने का खतरा है।
सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिक्रिया
- न्यायालय ने चिंताओं को स्वीकार किया, लेकिन इन मुद्दों को न्यायिक निर्देशों के बजाय प्रशासनिक रूप से हल करने को प्राथमिकता दी।
- मुख्य न्यायाधीश ने AI-जनित केस कानूनों के सत्यापन के महत्व पर जोर दिया, तथा सुझाव दिया कि इसे न्यायिक अकादमियों तथा वकीलों और न्यायाधीशों के प्रशिक्षण के माध्यम से प्रबंधित किया जा सकता है।
- AI को न्यायिक कार्यों में सहायता करने वाले उपकरण के रूप में देखा जाता है, लेकिन न्यायिक तर्क को प्रतिस्थापित या प्रभावित नहीं करता है।
प्रशिक्षण और सत्यापन
- न्यायालय ने न्यायाधीशों द्वारा क्रॉस-चेकिंग की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला, जो न्यायिक अकादमी के पाठ्यक्रम का हिस्सा है।
- समय के साथ, बार और न्यायपालिका दोनों ही AI के एकीकरण को अपना लेंगे।