हाल ही में उच्चतम न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका (PIL) में अदालतों में AI के दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी। उच्चतम न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि न्यायाधीश जनरेटिव AI (GenAI) के अनियंत्रित उपयोग से होने वाले खतरों के बारे में पूरी तरह सचेत हैं।
न्यायपालिका में AI के उपयोग से जुड़ी चिंताएं
- मतिभ्रम (हैल्यूसीनेशन): GenAI कभी-कभी त्रुटिपूर्ण या भ्रामक तथ्य या पुराने काल्पनिक निर्णय या शोध सामग्री प्रस्तुत कर सकता है। इससे निर्णय प्रभावित हो सकता है।
- उदाहरण के लिए: यूनाइटेड किंगडम के उच्च न्यायालय में वकीलों ने AI-सृजित कानूनी दलीलें पेश कीं। इनमें उन कथित पुराने मामलों (केस) का संदर्भ दिया गया जो वास्तव में काल्पनिक थे।
- असमान व्यवहार: AI का अनुचित तरीके से विकास या उपयोग अलग-अलग व्यक्तियों/समूहों के साथ असमान या भेदभावपूर्ण व्यवहार कर सकता है और पक्षपात को बढ़ावा दे सकता है।
- पारदर्शिता की कमी: AI एल्गोरिदम के पारदर्शी न होने से यह समझना मुश्किल हो जाता है कि निर्णय का आधार क्या है और वह कितना निष्पक्ष है।
न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में AI का एकीकरण
- न्याय की प्राप्ति (Access to Justice): चैटबॉट्स और वर्चुअल असिस्टेंट्स के माध्यम से AI लोगों को प्रारंभिक कानूनी सलाह उपलब्ध कराकर न्याय प्राप्ति में मदद कर रहा है।
- कार्य-उत्पादकता में वृद्धि: AI तकनीक अपील से जुड़े वास्तविक वाद सूची (केस) की पहचान करने, स्वचालित ट्रांसक्रिप्शन देने और केस-लॉ (पूर्व के निर्णय) समझने में मदद करती है।
- उदाहरण के लिए: ब्राजील का विक्टर-AI सिस्टम वहां के उच्चतम न्यायालय में दायर अपील का स्वतः प्रारंभिक परीक्षण करता है।
- न्यायालय में लंबित मामलों में कमी लाना: AI नियमित प्रशासनिक कार्यों को स्वचालित करता है, भविष्य के लिए विश्लेषण प्रदान करता है और कानूनी मामलों में शोध में सहायता करता है।
- उदाहरण के लिए: यूनान में AI तकनीक दस्तावेजों को स्वचालित रूप से प्रोसेस करके दायर मामलों का तेजी से निपटारा करने में मदद करती है।
