भारत में मॉब लिंचिंग और भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा
भारत में भीड़ की हिंसा और लिंचिंग के हालिया और ऐतिहासिक आंकड़े देश भर में ऐसी घटनाओं की व्यापकता और उनके प्रति धारणाओं के बारे में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
भीड़ द्वारा की गई लिंचिंग और हिंसा के आंकड़े
- 2014 2014 और 2023 के बीच, भारत में लिंचिंग के 189 मामले दर्ज किए गए, जो भीड़ की हिंसा की 5,26,000 से अधिक घटनाओं के 1% से भी कम है।
- वर्ष 2025 तक, केवल चार राज्यों में 'लिंचिंग-विरोधी' कानून हैं: मणिपुर, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और झारखंड।
- भीड़ की हिंसा के मामले 2014 के 66,044 से घटकर 2023 में 39,274 हो गए।
- इस अवधि के दौरान लिंचिंग की घटनाएं कुल भीड़ की हिंसा के मामलों का 0.01-0.11% थीं।
जनता और पुलिस की धारणा
- 2021 के 'प्यू रिसर्च' (Pew Research) सर्वेक्षण ने संकेत दिया कि 65% भारतीयों ने सांप्रदायिक हिंसा को देश में एक 'बड़ी समस्या' माना।
- CSDS द्वारा जारी 'स्टेटस ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट 2025' ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आधे से अधिक कांस्टेबल और IPS अधिकारी सजा के एक रूप में भीड़ की हिंसा को उचित या आंशिक रूप से उचित ठहराते हैं।
भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने वाले प्रमुख स्थान
- लिंचिंग की प्रमुख घटनाएं बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में दर्ज की गई हैं।