नीति आयोग के CEO ने RCEP और CPTPP में भारत की सदस्यता का समर्थन किया | Current Affairs | Vision IAS
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नीति आयोग के CEO के अनुसार भारत जैसे कुछ देश ही क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) तथा ट्रांस-पैसिफिक भागीदारी के लिए व्यापक और प्रगतिशील समझौते (CPTPP) जैसे बड़े व्यापार समझौतों के सदस्य नहीं हैं। 

  • उपर्युक्त समझौतों के उद्देश्य व्यापार बाधाओं को दूर करना तथा सदस्य देशों में निवेश को बढ़ावा देना है। इसके लिए टैरिफ सुविधा तथा पर्यावरण एवं श्रम सुरक्षा मानकों में सुधार किए जाते हैं।

RCEP और CPTPP में शामिल होने से भारत को होने वाले लाभ

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को बढ़ावा: भारत से होने वाले कुल निर्यात में MSMEs की 40% हिस्सेदारी है।
  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में शामिल होना: RCEP और CPTPP के सदस्य देशों का दुनिया के 70% व्यापार पर नियंत्रण है।
  • ‘चीन प्लस वन रणनीति’ के अवसर का लाभ उठाना: वस्तुओं की आपूर्ति के लिए विश्व में चीन पर कम होती निर्भरता का भारत लाभ नहीं उठा पा रहा है। ऐसा इस कारण, क्योंकि चीन से बाहर जा रही विनिर्माण गतिविधियां भारत में उच्च प्रशुल्क होने से किसी अन्य देश का रुख कर रही हैं। 
    • RCEP और CPTPP में शामिल होने के बाद भारत को प्रशुल्कों को कम करना होगा। 
  • भारत की विनिर्माण क्षमता में वृद्धि होगी: RCEP और CPTPP आयात को सुविधाजनक बनाएंगे, रोजगार के अवसर पैदा करेंगे; निजी क्षेत्र के मुनाफे और क्षमता उपयोग को बढ़ाएंगे, आदि।
  • वाणिज्यिक लाभ: ई-कॉमर्स जैसे नए व्यापार फ्रेमवर्क को विस्तार देने का अवसर मिलेगा।

RCEP और CPTPP में शामिल होने से संबंधित भारत की चिंताएं

  • सस्ती वस्तुओं के आयात में वृद्धि: प्रशुल्क कम होने या समाप्त होने से देश में आयात में अधिक वृद्धि हो सकती है। इससे व्यापार घाटा और बढ़ सकता है।
  • भारतीय उद्योगों पर प्रभाव: भारतीय उद्योगों को श्रम कार्य दशाओं और पर्यावरण संरक्षण पर सख्त मानकों को अपनाना होगा। इससे स्थानीय और कम प्रतिस्पर्धी भारतीय उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
  • देश में कुछ क्षेत्रकों द्वारा विरोध: औद्योगिक देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के भय से RCEP में शामिल होने का भारतीय डेयरी क्षेत्रक विरोध कर रहा है। 

आगे की राह

  • पिछले व्यापार समझौतों के अनुभवों से सीख लेना: जटिल वैश्विक आर्थिक स्थितियों से निपटने के लिए डेटा विश्लेषण के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।
  • दीर्घकालिक आर्थिक लक्ष्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए: व्यापार वार्ताओं में शामिल होते समय आत्मनिर्भरता, रोजगार सृजन और रणनीतिक स्वायत्तता का ध्यान रखा जाना चाहिए।

 

RCEP के बारे में

  • शुरुआत में इसमें आसियान के 10 सदस्य देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस, लाओस और वियतनाम) तथा आसियान के 6 मुक्त व्यापार समझौता साझेदार देश (भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड) शामिल थे। वर्तमान में इसके 15 सदस्य हैं। 
    • 2019 में भारत इस समझौते से बाहर हो गया था।

CPTPP के बारे में

  • यह 11 देशों का मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है। ये 11 देश हैं- ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, जापान, मलेशिया, सिंगापुर, वियतनाम, पेरू, मैक्सिको और न्यूजीलैंड। 

 

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