रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया कि युद्ध की पारंपरिक धारणाएं उभरती प्रौद्योगिकियों और विकसित होती रणनीतिक साझेदारियों के चलते नया रूप ले रही हैं। इन नई चुनौतियों से निपटने के लिए ‘अडैप्टिव डिफेंस’ रणनीति की आवश्यकता है।
‘अडैप्टिव डिफेंस’ के बारे में
- परिभाषा: यह एक ऐसा रणनीतिक दृष्टिकोण है, जिसके तहत किसी देश के सैन्य और रक्षा तंत्र को लगातार उभरते खतरों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए विकसित किया जाता है।
- ‘अडैप्टिव डिफेंस’ का सिद्धांत: इसमें खतरों का अनुमान लगाने, अनुकूलन करने, नवाचार करने और अप्रत्याशित परिस्थितियों का सामना करने के लिए सक्रिय मानसिकता विकसित करना शामिल है।
- ‘अडैप्टिव डिफेंस’ के लिए आवश्यक क्षमताएं: परिस्थितिजन्य जागरूकता, रणनीतिक और सामरिक स्तरों पर लचीलापन, अनुकूलन, चपलता और भविष्य की प्रौद्योगिकियों के साथ एकीकरण।
- महत्त्व: इसे सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ भविष्य को भी सुरक्षित करने; पारंपरिक (जैसे, सशस्त्र आक्रमण) और गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों (जैसे, ड्रग्स की तस्करी) दोनों से निपटने; राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ सूचना युद्ध के खतरे का मुकाबला करने आदि के लिए डिज़ाइन किया गया है।
उभरती हुई प्रौद्योगिकियां: भविष्य के युद्ध की चालक
- सूचना युद्ध (Information warfare): यह नेटवर्क सूचना प्रणालियों पर निर्भर करता है, जहां शत्रु देश से सूचना लाभ प्राप्त करने के लिए एक ऑपरेशन किया जाता है। उदाहरण के लिए, साइबर युद्ध।
- घातक स्वायत्त हथियार प्रणाली (Lethal Autonomous Weapon Systems: LAWS): एक बार सक्रिय होने के बाद यह हथियार प्रणाली बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के लक्ष्यों को भेद सकती है।
- लेज़र और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन: यह उपग्रहों पर अंतरिक्ष-आधारित हमलों के लिए प्रयुक्त होती है।
- सिंथेटिक बायोलॉजी: अवैध जीन-एडिटिंग, साइबर-बायो क्राइम, बायो-मैलवेयर, बायो-हैकिंग जैसे अपराध।