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भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के एक सर्वे में राजस्थान में भी पोटाश भंडार की पहचान की गई है। इससे भारत की पोटाश खनिज पर आयात निर्भरता कम होने की संभावना है।

पोटाश के बारे में

  • परिभाषा: पोटाश पोटेशियम कार्बोनेट और पोटेशियम (K) लवणों का अशुद्ध मिश्रण है।
  • मुख्य अयस्क: सिल्वेनाइट
  • पोटाश का उपयोग:
    • कृषि: 90% से अधिक पोटाश का उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है। यह कृषि कार्यों में इस्तेमाल होने वाले तीन प्राथमिक पोषक तत्वों (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश) में से एक है। इन्हें सामूहिक रूप से NPK कहा जाता है।
      • पौधों की बेहतर वृद्धि के लिए NPK पोषक तत्वों का आदर्श अनुपात 4:2:1 है।
    • जल का शुद्धिकरण: पोटाश एल्युम (Potash alum) जल की कठोरता को दूर करता है और इसमें जीवाणुरोधी गुण होते हैं।
    • अन्य उपयोग: इसका ग्लास सिरेमिक, साबुन व डिटर्जेंट, विस्फोटक आदि के निर्माण में उपयोग होता है।
  • पोटाश उर्वरकों के सामान्य प्रकार: सल्फेट ऑफ पोटाश (SOP) एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP)।
  • मोलासेस से बनने वाला पोटाश (PDM): यह पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना के तहत 100% स्वदेशी उर्वरक है।
    • पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना: इसमें किसानों को वास्तविक पोषक तत्व (नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटेशियम) के आधार पर उर्वरक सब्सिडी प्रदान की जाती है।
  • पोटाश एक महत्वपूर्ण खनिज: इसे “खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन (MMDR) अधिनियम, 2023” के तहत महत्वपूर्ण खनिज के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

भारत में पोटाश का भंडार और आयात

  • भंडार: राजस्थान (89%), मध्य प्रदेश (5%) और उत्तर प्रदेश (4%)
  • आयात: भारतीय मिनरल ईयरबुक, 2022 के अनुसार, भारत अपनी पोटाश की 100% आवश्यकता को आयात के माध्यम से पूरी करता है। 
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