एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का फार्मास्यूटिकल निर्यात 2047 तक 350 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है | Current Affairs | Vision IAS
मेनू
होम

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर समय-समय पर तैयार किए गए लेख और अपडेट।

त्वरित लिंक

High-quality MCQs and Mains Answer Writing to sharpen skills and reinforce learning every day.

महत्वपूर्ण यूपीएससी विषयों पर डीप डाइव, मास्टर क्लासेस आदि जैसी पहलों के तहत व्याख्यात्मक और विषयगत अवधारणा-निर्माण वीडियो देखें।

करंट अफेयर्स कार्यक्रम

यूपीएससी की तैयारी के लिए हमारे सभी प्रमुख, आधार और उन्नत पाठ्यक्रमों का एक व्यापक अवलोकन।

ESC

यह रिपोर्ट भारतीय फार्मास्युटिकल अलायंस (IPA) के सहयोग से जारी की गई है।

  • भारत की स्थिति: वैश्विक स्तर पर फार्मास्युटिकल उत्पादों की मात्रा के मामले में भारत तीसरे और मूल्य के मामले में 14वें स्थान पर है। भारत जेनेरिक दवाओं का शीर्ष उत्पादक देश है। यह जेनेरिक दवाओं की वैश्विक मांग का 20% उत्पादित करता है। साथ ही, विश्व की 60% वैक्सीन की आपूर्ति करता है।

इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर 

  • भारत के फार्मास्यूटिकल उद्योग में बड़े बदलाव देखे गए हैं (इन्फोग्राफिक देखें)।
  • निम्नलिखित क्षेत्रों में अवसर:
    • सक्रिय औषध सामग्री (API): अमेरिकी बायोसिक्योर एक्ट जैसी नीतियों के कारण चीन का API निर्यात घट रहा है। ऐसे में भारत, कम लागत के कारण, चीन का 20-30% बाजार हिस्सा हासिल कर सकता है।
      • API: किसी दवा में जैविक रूप से सक्रिय घटक होता है, जो इच्छित चिकित्सीय प्रभाव उत्पन्न करता है।
  • बायोसिमिलर: वैश्विक बायोसिमिलर बाजार 30 बिलियन डॉलर का है, लेकिन भारत के फार्मास्यूटिकल उद्योग का हिस्सा 5% से भी कम है। हालांकि, नेशनल बायोफार्मा मिशन और तेलंगाना के जीनोम वैली विस्तार जैसी पहलों से भारत अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
    • बायोसिमिलर दवाएं जैविक दवाओं से काफी मिलती-जुलती हैं। इन्हें खमीर, बैक्टीरिया या पशु कोशिकाओं जैसी जीवित प्रणालियों का उपयोग करके बनाया जाता है। इनकी संरचना व कार्य जैविक दवाओं की संरचना व कार्य के समान होते हैं। 
  • वैक्सीन: भारत सस्ती वैक्सीन बनाने पर ज्यादा ध्यान देता है। इससे गरीब और विकासशील देशों को किफायती दवाएं मिलती हैं। हालांकि, उच्च-आय वाले देशों (जैसे अमेरिका और यूरोप) में महंगी एवं ब्रांडेड वैक्सीन की ज्यादा मांग होती है। भारत की कम कीमत वाली वैक्सीन इन बाजारों में ज्यादा जगह नहीं बना पाती हैं, जिससे वहां भारत की हिस्सेदारी सीमित रहती है। इसलिए, इसका उद्देश्य नवाचार, ब्रांड निर्माण आदि के माध्यम से 2047 तक अपनी वैश्विक हिस्सेदारी को 1.5% से बढ़ाकर 8% करना है।
Watch Video News Today
Title is required. Maximum 500 characters.

Search Notes

Filter Notes

Loading your notes...
Searching your notes...
Loading more notes...
You've reached the end of your notes

No notes yet

Create your first note to get started.

No notes found

Try adjusting your search criteria or clear the search.

Saving...
Saved

Please select a subject.

Referenced Articles

linked

No references added yet

Subscribe for Premium Features