गृह मंत्री का यह बयान छत्तीसगढ़ के बीजापुर में एक बड़े ऑपरेशन के बाद आया है। इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने 31 वामपंथी उग्रवादियों को मार गिराया है। यह कार्रवाई वामपंथी उग्रवाद के खात्मे के उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
वामपंथी उग्रवाद (LWE) के बारे में
- भारत में वामपंथी उग्रवाद को नक्सलवाद के रूप में जाना जाता है। भारत में इसकी शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल में नक्सलबाड़ी विद्रोह से हुई है।
- वामपंथी उग्रवाद की विचारधारा: राज्य की सत्ता पर कब्जा करने के साधन के रूप में हिंसा और सशस्त्र विद्रोह का उपयोग करना इनकी मूल विचारधारा है।
- भारत का लाल गलियारा: इसमें वामपंथी उग्रवाद प्रभावित भारतीय राज्य जैसे- छत्तीसगढ़ (सबसे अधिक प्रभावित), झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और केरल शामिल हैं।
- प्रभावित जिलों में गिरावट: देश में LWE से प्रभावित जिलों की संख्या 2013 में 126 थी, जो 2024 में घटकर केवल 38 रह गई है।
- 2024 में गिरफ्तार वामपंथी उग्रवादियों की संख्या में (17%), आत्मसमर्पण करने वाले (1.5 गुना) और मारे गए (5 गुना) की संख्या में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है।
वामपंथी उग्रवाद से निपटने के उपाय
- नीतिगत उपाय: वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए एक समग्र "राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना" को 2015 में मंजूरी दी गई थी। वर्ष 2017 में वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए परिचालन सिद्धांत 'समाधान'/ SAMADHAN की घोषणा की गई थी।
- सुरक्षा संबंधी उपाय:
- विशेष अवसंरचना योजना (SIS) के तहत पुलिस स्टेशनों की किलेबंदी की गई है।
- सुरक्षा व्यय में वृद्धि: वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में सुरक्षा व्यय लगभग तीन गुना (लगभग 3,000 करोड़ रुपये) है।
- आक्रामक रणनीति: ऑपरेशन ग्रीन हंट, ऑपरेशन ऑक्टोपस, ऑपरेशन डबल बुल और ऑपरेशन चक्रबंध इत्यादि।
वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए विकासात्मक उपाय
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