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यह अभियान अंतर्राष्ट्रीय महिला एवं बालिका विज्ञान दिवस की 10वीं वर्षगांठ का प्रतीक है। साथ ही, यह #EveryVoiceInScience का उपयोग करके अलग-अलग दृष्टिकोणों के सकारात्मक प्रभाव को भी उजागर करता है।

  • ज्ञातव्य है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 2015 में 11 फरवरी को ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला एवं बालिका विज्ञान दिवस’ के रूप में घोषित किया था।

विज्ञान में लैंगिक असमानता 

  • वैश्विक स्तर पर:
    • कम भागीदारी: वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक समुदाय में महिलाओं की भागीदारी केवल एक तिहाई है।
    • नेतृत्व में कमी: 10 में से केवल 1 महिला ही STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग व गणित) क्षेत्रों में नेतृत्वकारी भूमिका में है।
  • भारत में:
    • STEMM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और चिकित्सा) में महिलाओं का नामांकन 43% है।
    • भारत में महिला वैज्ञानिकों की संख्या 18.6% है, जबकि 25% शोध परियोजनाएं महिलाएं चला रही हैं।

चुनौतियां

  • सामाजिक एवं सांस्कृतिक मानदंड, जैसी प्रतिबंधात्मक लैंगिक भूमिकाएं, 
  • रोल मॉडल की कमी, जैसे विज्ञान के क्षेत्र में विख्यात महिलाओं की कम संख्या,
  • कार्यस्थल असमानता, जैसे पक्षपातपूर्ण वर्क कल्चर आदि।

उठाए जाने वाले कदम

मानकसुझाए गए उपाय
विज्ञान में लैंगिक रूढ़िवादिता और पूर्वाग्रहों को खत्म करना

निम्नलिखित तरीकों से महिला रोल मॉडल के प्रचार को बढ़ाया जा सकता है:

  • महिला वैज्ञानिकों की खोजों और कहानियों को स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में शामिल करना चाहिए।
  • प्रासंगिक बोर्डों, समितियों और पैनल में महिलाओं का न्यायसंगत प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना चाहिए।
विज्ञान में लड़कियों के लिए शिक्षा के विकल्प खोलना

इसके लिए नवीन एवं प्रेरक शैक्षिक रणनीतियों एवं पहलों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे:

  • टीचिंग और लर्निंग सामग्रियों से लैंगिक पूर्वाग्रह एवं रूढ़िवादिता को समाप्त करना चाहिए।
  • विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं को बढ़ावा देने वाली कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व जैसी पहलों को लागू करने हेतु कंपनियों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
महिला वैज्ञानिकों के लिए अनुकूल कार्यस्थल बनाना 

कार्यस्थल पर समावेशिता, विविधता और समानता को बढ़ावा देने के लिए नीतियां अपनानी चाहिए, जैसे:

  • लैंगिक भेदभाव और यौन उत्पीड़न सहित लैंगिक हिंसा के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए।
  • नेतृत्वकारी पदों पर महिलाओं को बढ़ावा देना चाहिए।
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