भारत की जैव-ऊर्जा (Bioenergy) क्षमता को इंडिया एनर्जी वीक 2025 के दौरान रेखांकित किया गया।
जैव-ऊर्जा क्या है?
- जैव-ऊर्जा एक प्रकार की अक्षय ऊर्जा है, जो बायोमास ईंधन को जलाने से उत्पन्न होती है। बायोमास ईंधन जैविक सामग्री (जैसे कि फसलों के अवशेष, खेतों से निकलने वाले जैविक अपशिष्ट इत्यादि) से प्राप्त होते हैं।
- बायोमास वास्तव में लकड़ी, गोबर, चारकोल जैसे जैविक-स्त्रोत (Biological origin) वाले पदार्थ होते हैं।
- जैव-ऊर्जा की प्रमुख श्रेणियां:
- पारंपरिक जैव ऊर्जा: यह लकड़ी, पशु-अपशिष्ट जैसे बायोमास का दहन करके उत्पादित की जाती है।
- आधुनिक जैव ऊर्जा: इसमें तरल जैव-ईंधन, बायोगैस आदि शामिल हैं।
जैव-ऊर्जा क्षेत्रक में भारत की स्थिति

- एनर्जी मिक्स में योगदान: आधुनिक जैव-ऊर्जा आज भारत की कुल अंतिम ऊर्जा खपत में 13% योगदान देती है। वर्ष 2023-2030 के बीच इसमें 45% वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है।
- भारत वैश्विक जैव-ऊर्जा मांग में एक-तिहाई से अधिक वृद्धि का योगदान देगा।
- भारत में जैव-ऊर्जा के लिए अनुकूल स्थिति: भारत में 750 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) वार्षिक बायोमास का उत्पादन होता है। इसका उपयोग जैव-ऊर्जा उत्पादन में किया जा सकता है।
- भारत के जैव-ऊर्जा लक्ष्य
- 2025/ 26 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है।
- भारत का लक्ष्य 2030 तक डीजल में 5% बायोडीजल मिलाने का है।
- भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2028-29 से प्राकृतिक गैस नेटवर्क में संपीडित बायोगैस (CBG) के 5% मिश्रण को अनिवार्य कर दिया है।
जैव-ऊर्जा के समक्ष मुख्य चुनौतियां:
- फीडस्टॉक की पर्याप्त आपूर्ति नहीं है। इस वजह से जैव-ऊर्जा की गुणवत्ता और निरंतर उत्पादन पर संदेह उत्पन्न होता है।
- देश के अलग-अलग हिस्सों में बायोमास की उपलब्धता पर सार्वजनिक डेटा की कमी है।
- जैव-ऊर्जा भंडारण के विकल्प सीमित हैं, आदि।
जैव-ऊर्जा के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक उपाय:
- एकीकृत फीडस्टॉक मूल्यांकन प्रणाली विकसित करने की जरूरत है।
- संपीडित बायोगैस (CBG) उत्पादन को ट्रैक करने के लिए केंद्रीय रजिस्ट्री स्थापित की जानी चाहिए।
- बायोगैस और बायोमीथेन प्लांट के लिए तकनीकी मानकों को लागू करना चाहिए, आदि।
जैव-ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई मुख्य पहलें
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