संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में चीन ने दुर्लभ भू-तत्वों (REEs) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया | Current Affairs | Vision IAS
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संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में चीन ने दुर्लभ भू-तत्वों (REEs) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया

Posted 16 Apr 2025

11 min read

आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर उद्योगों में दुर्लभ भू-तत्वों (REEs) का बहुत बड़ा महत्त्व है और इस क्षेत्र में चीन का प्रभुत्व है। इसलिए इस प्रतिबंध को चीन द्वारा 'व्यापार के हथियारीकरण' के रूप में देखा जा रहा है। 

दुर्लभ भू-तत्व (REEs) क्या हैं? 

  • REEs चमकदार व चांदी जैसे सफेद रंग के मुलायम और भारी 17 धात्विक तत्वों का एक समूह है। इसमें आवर्त सारणी के 15 लैंथेनाइड्स के अलावा स्कैंडियम और यिट्रियम शामिल हैं। उदाहरण के लिए- सेरियम (Ce), यिट्रियम (Y), यूरोपियम (Eu) आदि।
    • ये पृथ्वी में पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं, लेकिन इन्हें निकालना कठिन होता है क्योंकि ये संकेंद्रित समूहों में नहीं पाए जाते हैं।
  • उपयोग: रक्षा (रडार), इलेक्ट्रॉनिक्स (कंप्यूटर), औद्योगिक उत्प्रेरक, धात्विक मिश्र धातु और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों जैसे सौर पैनल, पवन टर्बाइन आदि में। 

REEs का वैश्विक वितरण: 

  • सबसे अधिक भंडार वाले देश: चीन (44 मीट्रिक टन), वियतनाम, ब्राजील, रूस और भारत (6.9 मीट्रिक टन)। 
    • चीन का वैश्विक REEs उत्पादन में दो-तिहाई से अधिक हिस्सा है। उसके पास इन संसाधनों को प्रॉसेस करने और निकालने की तकनीकी क्षमता है। इसके कारण वह 85% से अधिक आपूर्ति श्रृंखला को नियंत्रित करता है।

चीन के निर्यात नियंत्रण के क्या परिणाम हो सकते हैं? 

  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान: इलेक्ट्रिक वाहन, मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनियों के लिए तुरंत कच्चे माल की कमी हो सकती है।
  • रक्षा उद्योगों पर प्रभाव: डिस्प्रोसियम और यिट्रियम जैसे REEs का फाइटर जेट, मिसाइल, ड्रोन आदि में महत्वपूर्ण घटक बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।

REEs के लिए चीन पर निर्भरता कम करने हेतु भारत द्वारा उठाए गए कदम

  • घरेलू दुर्लभ भू-तत्व भंडार का दोहन: उदाहरण के लिए सार्वजनिक क्षेत्रक के उपक्रम इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) ने 2032 तक अपने REEs उत्पादन को 400% तक बढ़ाने की योजना बनाई है।
  • सहयोग और प्रौद्योगिकी विकास: उदाहरण के लिए भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने REEs में सहयोग के लिए 2023 की खनिज सुरक्षा भागीदारी (MSP) के बाद फरवरी, 2025 में TRUST पहल पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • खनन कानूनों में संशोधन: भारत सरकार ने निजी क्षेत्रक की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए संशोधन किए हैं।
  • Tags :
  • दुर्लभ भू-तत्व
  • REEs
  • इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड
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