इस सम्मेलन के दौरान समावेशी व प्रौद्योगिकी-संचालित ग्रामीण गवर्नेंस के मॉडल के रूप में भारत की भूमि प्रबंधन संबंधी प्रमुख पहलों की ओर विश्व का ध्यान आकर्षित किया गया। जैसे स्वामित्व योजना और ग्राम मानचित्र प्लेटफॉर्म।
- स्वामित्व योजना ने 68,000 वर्ग किमी का सर्वेक्षण और 1.16 ट्रिलियन रुपये मूल्य की भूमि का मुद्रीकरण किया है। इस उपलब्धि के साथ यह वैश्विक स्तर पर समावेशी आर्थिक रूपांतरण के लिए एक स्केलेबल मॉडल के रूप में सामने आई है।
- स्वामित्व योजना का उद्देश्य ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिये भू-खंडों का मानचित्रण करके ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के स्पष्ट स्वामित्व की स्थापना करना है।
- क्लाइमेट रिजिलिएंस, अवसंरचना के नियोजन और योजनाओं के अभिसरण को बढ़ावा देने में ग्राम मानचित्र प्लेटफॉर्म की भूमिका को ग्लोबल साउथ के संदर्भ में काफी लाभकारी और एक उपयोगी मॉडल माना गया।
- ग्राम मानचित्र एक भू-स्थानिक प्लानिंग प्लेटफॉर्म है, जो ग्राम पंचायतों को डेटा-संचालित व स्थानीयकृत विकास योजनाएं तैयार करने में सक्षम बनाता है।
कुशल भूमि प्रबंधन प्रणाली और आर्थिक संवृद्धि
- नौकरियां और विकास: संपत्ति तक सुव्यवस्थित पहुंच से उद्यमशीलता, विस्तार करने, धन के पुनर्निवेश और वैकल्पिक आजीविका की सुविधा मिलती है।
- निजी पूंजी: पंजीकृत संपत्ति संबंधी अधिकार भू-स्वामियों को भूमि को जमानत के रूप में रखने हेतु सक्षम बनाते हैं, जिससे निजी ऋण और निवेश के अवसरों को बढ़ावा मिलता है।
- अवसंरचना वित्त-पोषण: आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं और अवसंरचना के लिए विश्वसनीय सरकारी राजस्व उत्पन्न होता है।
- निम्न आय वाले देशों में भूमि और संपत्ति कर GDP में मात्र 0.6% का योगदान करते हैं, जबकि औद्योगिक देशों में यह आंकड़ा 2.2% है।
- शहरी प्रबंधन: इससे शहरों के विकास की योजना बनाने, सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा करने, विकास के अवसरों की पहचान करने और आपदा जोखिमों का प्रबंधन करने में सहायता मिलती है।
- खाद्य सुरक्षा: इससे भूमि पर महिलाओं के स्वामित्व में सुधार द्वारा कृषि उत्पादन में 4% की वृद्धि हो सकती है।