सरकार ने इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के तहत भारतीय खाद्य निगम (FCI) के बफर स्टॉक से 2.8 मिलियन टन चावल इथेनॉल उत्पादन के लिए रियायती दरों पर देने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य भारतीय खाद्य निगम के अधिशेष भंडार को कम करना है।
महत्त्व
- ऊर्जा सुरक्षा: इथेनॉल एक नवीकरणीय और संधारणीय ईंधन है, जो आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करता है।
- अतिरिक्त बफर स्टॉक का इष्टतम उपयोग: FCI ने 2025-26 के लिए चावल की आर्थिक लागत (न्यूनतम समर्थन मूल्य, भंडारण, परिवहन आदि सहित) 4173 रुपये प्रति क्विंटल अनुमानित की है।
- वर्तमान में, FCI के पास 13.58 मीट्रिक टन के बफर भंडार के मुकाबले 61 मीट्रिक टन चावल है।
- आर्थिक: यह "मेक इन इंडिया" पहल को बढ़ावा देता है। साथ ही, यह किसानों की आय दोगुनी करने और रोजगार सृजन में भी योगदान देता है।
खाद्य पदार्थों से इथेनॉल उत्पादन से संबंधित चुनौतियां
- खाद्य सुरक्षा बनाम ऊर्जा सुरक्षा: इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ना, मक्का और चावल जैसी प्रमुख खाद्य फसलों के अत्यधिक उपयोग के कारण खाद्य एवं पशु आहार सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है।
- गन्ना और मक्का के साथ चावल संयुक्त रूप से भारत की खाद्य एवं पशु आहार प्रणालियों का मुख्य आधार है, फिर भी इन तीनों का उपयोग इथेनॉल के लिए फीडस्टॉक के रूप में किया जा रहा है।
- मुद्रास्फीति: इथेनॉल उत्पादन के लिए खाद्य फसलों की बढ़ती मांग से उपभोक्ताओं को इनके लिए अधिक कीमतें चुकानी पड़ सकती हैं। साथ ही, इनकी उपलब्धता भी कम हो सकती है।
इथेनॉल के बारे में
इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम
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