मानव द्वारा एंटीबायोटिक उपयोग से वैश्विक स्तर पर नदियों में प्रदूषण के स्तर का आकलन किया गया | Current Affairs | Vision IAS
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मानव द्वारा एंटीबायोटिक उपयोग से वैश्विक स्तर पर नदियों में प्रदूषण के स्तर का आकलन किया गया

Posted 13 May 2025

13 min read

यह पहली बार है कि इस विषय पर कोई अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन में पहली बार यह अनुमान लगाया गया है कि हर साल मनुष्यों द्वारा उपयोग की गई लगभग 8,500 टन एंटीबायोटिक दवाएं दुनिया भर की नदियों में पहुंच जाती हैं। यह कुल उपयोग का एक-तिहाई है। इसके अलावा, इनका 11% हिस्सा महासागरों या स्थलीय जलाशयों तक भी पहुंच रहा है।

एंटीबायोटिक आधारित प्रदूषण के मार्ग 

  • मानव शरीर में एंटीबायोटिक अपूर्ण चयापचय और अपशिष्ट जल प्रणालियों में से एंटीबायोटिक को पूर्ण रूप से न हटा पाना।
  • पशुपालन और जलीय कृषि में एंटीबायोटिक दवाओं का व्यापक उपयोग।
  • दवा विनिर्माण के दौरान होने वाला रिसाव।
  • जलवायु  परिवर्तन बैक्टीरिया के प्रसार को बढ़ाता है। इससे क्षैतिज जीन स्थानांतरण संभव होता है और प्रतिरोध विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

इस अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर 

  • वैश्विक जनसंख्या का 10% हिस्सा सतही जल के उस शीर्ष 1% के संपर्क में है, जिसमें एंटीबायोटिक दवाओं की संचयी सांद्रता सबसे अधिक है।
  • अनुपचारित घरेलू अपशिष्ट जल नदियों में सबसे ज्यादा एंटीबायोटिक प्रदूषण फैलाता है।
    • घरेलू स्रोतों से आने वाली एंटीबायोटिक दवाओं का केवल 43% ही अपशिष्ट जल प्रणालियों में प्रॉसेस किया जाता है।
  • दुनिया में जितनी भी नदियां हैं, यदि उन सबकी लंबाई को मिलाया जाए, तो उसका एक चौथाई हिस्सा (यानी 60 लाख किलोमीटर) ऐसी जगहों पर बह रहा है, जहां उनमें एंटीबायोटिक दवाएं बहुत ज्यादा मात्रा में घुली हुई हैं। ये दवाएं इतनी ज़्यादा हैं कि यह नदियों के अंदर रहने वाले जीव-जंतुओं और पादपों  के लिए खतरनाक हैं।
    • इस मामले में भारत की 80% से अधिक नदियां उच्च या अति उच्च जोखिम वाली श्रेणियों में आती हैं।
  • एंटीबायोटिक प्रदूषण में योगदान देने वाले मुख्य एंटीबायोटिक्स एमोक्सिसिलिन, सेफ्ट्राइएक्सोन और सेफिक्सिम हैं।

एंटीबायोटिक प्रदूषण के बारे में

प्रभाव:

  • मानव स्वास्थ्य पर: एंटीबायोटिक प्रदूषण से एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) बढ़ जाता है, जो 2050 तक वैश्विक स्तर पर कुल मृत्यु का प्रमुख कारण बन सकता है (WHO)।
  • पर्यावरण पर: इससे सूक्ष्मजीव विविधता कम हो सकती है तथा मछलियों एवं शैवालों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर भी पड़ सकता है ।

महत्वपूर्ण पहलें:

  • एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पर भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP-AMR) (2017): इसका उद्देश्य विनियमन, संबंधित जागरूकता और निगरानी में सुधार करना है।
  • एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पर WHO की वैश्विक कार्य योजना (2015)।
  • विनिर्माण प्रक्रिया से एंटीबायोटिक प्रदूषण पर WHO के दिशा-निर्देश।
  • Tags :
  • एंटीबायोटिक
  • एंटीबायोटिक प्रदूषण
  • प्रदूषण
  • जल प्रदूषण
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