शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों में स्कूल नामांकन में कमी पर चिंता जताई | Current Affairs | Vision IAS
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शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों में स्कूल नामांकन में कमी पर चिंता जताई

Posted 31 May 2025

12 min read

शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों में निजी स्कूलों में नामांकन में लगातार वृद्धि तथा सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नामांकन में कमी पर चिंता प्रकट की। UDISE+ के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में लगभग 36% छात्रों का नामांकन निजी स्कूलों में हुआ था। इसे देखते हुए मंत्रालय ने राज्यों को सरकारी स्कूलों में घटते नामांकन को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है।

  • उदाहरण के लिए- आंध्र प्रदेश में लगभग 73% स्कूल सरकारी (2023-24) हैं, लेकिन इनमें केवल 46% छात्रों का नामांकन है, जबकि लगभग 25% निजी स्कूलों में 52% छात्रों का नामांकन है। 

सरकारी स्कूलों की तुलना में निजी स्कूलों में नामांकन में वृद्धि के लिए जिम्मेदार कारक 

  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बढ़ती मांग: अभिभावक निजी स्कूलों को बेहतर शिक्षा, बेहतर अवसंरचना और शिक्षण गुणवत्ता के लिए प्राथमिकता देते हैं।
  • निवेश: विश्व बैंक के अनुसार, शिक्षा में सार्वजनिक निवेश 2021 में सकल घरेलू उत्पाद का 4.6% था, जो 2022 में घटकर 4.1% रह गया। 
    • नई शिक्षा नीति (NEP), 2020 के अनुसार शिक्षा पर GDP का 6% खर्च किया जाना चाहिए।
  • राज्य विनियमन और निगरानी: सरकारी स्कूलों में प्रशासनिक भ्रष्टाचार और निगरानी की कमी से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
    • उदाहरण के लिए- शिक्षकों की अनुपस्थिति, सर्व शिक्षा अभियान तथा मिड डे मील का अप्रभावी कार्यान्वयन।
  • अन्य: प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, निजी स्कूलों की बढ़ती उपलब्धता व पहुँच आदि।
                सकारात्मक प्रभाव                     नकारात्मक प्रभाव 
  • निजी स्कूलों की वृद्धि के कारण शैक्षिक विकल्प की उपलब्धता सहित स्कूलों तक पहुंच में वृद्धि हुई है।
    • उदाहरण: शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009) के तहत निजी स्कूलों को कम आय वाले परिवारों के बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित करनी होती हैं।
  • शिक्षा की शैली, प्रकार और गुणवत्ता में अधिक विकल्प उपलब्ध हुए हैं।
  • गैर-सरकारी संस्थाओं के माध्यम से शिक्षा क्षेत्रक में नई तरह की फंडिंग के अवसर बढ़े हैं।
  • शिक्षा का व्यावसायीकरण: इससे शिक्षा के अवसरों की समानता और शिक्षा के अधिकार (अनुच्छेद 21A) का सिद्धांत कमजोर पड़ता है; आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक असमानता बनी रहती है।
    • उदाहरण के लिए- शहरी-ग्रामीण, जाति और वर्ग असमानताओं में बढ़ोतरी होती है।
  • सार्वजनिक शिक्षा से विमुख होना: निजी स्कूलों की बढ़ती उपस्थिति के कारण सरकार की शिक्षा क्षेत्रक में जिम्मेदारी कम होती जा रही है, जिससे सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता और भी खराब हो रही है।
  • शिक्षा और शिक्षण की गुणवत्ता के अलग-अलग मानक होने से शिक्षा के स्तर में गिरावट आती है।
  • Tags :
  • शिक्षा मंत्रालय
  • स्कूल नामांकन
  • नई शिक्षा नीति
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