शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों में स्कूल नामांकन में कमी पर चिंता जताई | Current Affairs | Vision IAS
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शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों में निजी स्कूलों में नामांकन में लगातार वृद्धि तथा सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नामांकन में कमी पर चिंता प्रकट की। UDISE+ के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में लगभग 36% छात्रों का नामांकन निजी स्कूलों में हुआ था। इसे देखते हुए मंत्रालय ने राज्यों को सरकारी स्कूलों में घटते नामांकन को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है।

  • उदाहरण के लिए- आंध्र प्रदेश में लगभग 73% स्कूल सरकारी (2023-24) हैं, लेकिन इनमें केवल 46% छात्रों का नामांकन है, जबकि लगभग 25% निजी स्कूलों में 52% छात्रों का नामांकन है। 

सरकारी स्कूलों की तुलना में निजी स्कूलों में नामांकन में वृद्धि के लिए जिम्मेदार कारक 

  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बढ़ती मांग: अभिभावक निजी स्कूलों को बेहतर शिक्षा, बेहतर अवसंरचना और शिक्षण गुणवत्ता के लिए प्राथमिकता देते हैं।
  • निवेश: विश्व बैंक के अनुसार, शिक्षा में सार्वजनिक निवेश 2021 में सकल घरेलू उत्पाद का 4.6% था, जो 2022 में घटकर 4.1% रह गया। 
    • नई शिक्षा नीति (NEP), 2020 के अनुसार शिक्षा पर GDP का 6% खर्च किया जाना चाहिए।
  • राज्य विनियमन और निगरानी: सरकारी स्कूलों में प्रशासनिक भ्रष्टाचार और निगरानी की कमी से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
    • उदाहरण के लिए- शिक्षकों की अनुपस्थिति, सर्व शिक्षा अभियान तथा मिड डे मील का अप्रभावी कार्यान्वयन।
  • अन्य: प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, निजी स्कूलों की बढ़ती उपलब्धता व पहुँच आदि।
                सकारात्मक प्रभाव                     नकारात्मक प्रभाव 
  • निजी स्कूलों की वृद्धि के कारण शैक्षिक विकल्प की उपलब्धता सहित स्कूलों तक पहुंच में वृद्धि हुई है।
    • उदाहरण: शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009) के तहत निजी स्कूलों को कम आय वाले परिवारों के बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित करनी होती हैं।
  • शिक्षा की शैली, प्रकार और गुणवत्ता में अधिक विकल्प उपलब्ध हुए हैं।
  • गैर-सरकारी संस्थाओं के माध्यम से शिक्षा क्षेत्रक में नई तरह की फंडिंग के अवसर बढ़े हैं।
  • शिक्षा का व्यावसायीकरण: इससे शिक्षा के अवसरों की समानता और शिक्षा के अधिकार (अनुच्छेद 21A) का सिद्धांत कमजोर पड़ता है; आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक असमानता बनी रहती है।
    • उदाहरण के लिए- शहरी-ग्रामीण, जाति और वर्ग असमानताओं में बढ़ोतरी होती है।
  • सार्वजनिक शिक्षा से विमुख होना: निजी स्कूलों की बढ़ती उपस्थिति के कारण सरकार की शिक्षा क्षेत्रक में जिम्मेदारी कम होती जा रही है, जिससे सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता और भी खराब हो रही है।
  • शिक्षा और शिक्षण की गुणवत्ता के अलग-अलग मानक होने से शिक्षा के स्तर में गिरावट आती है।
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