केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने भारत में गिग वर्कर्स पर एक अध्ययन प्रकाशित किया | Current Affairs | Vision IAS
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श्रम मंत्रालय द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भारत में गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स की संख्या वर्ष 2047 तक लगभग 6.2 करोड़ तक पहुँचने की संभावना है।

  • गिग वर्कर्स वास्तव में नियोक्ता-कर्मचारी के पारंपरिक संबंधों या रोजगार शर्तों के दायरे से बाहर रहकर कार्य करने वाले कार्यबल होते हैं, जैसे कि जोमैटो व स्विगी के डिलीवरी एजेंट, आदि।

भारत में गिग इकोनॉमी की स्थिति

  • भारत में रोजगार के नए अवसरों में गिग इकोनॉमी का योगदान 56% है।
  • तेजी से विस्तार: तकनीकी प्रगति और श्रम बाजार की प्राथमिकताओं में बदलाव की वजह से गिग इकोनॉमी का तेजी से विस्तार हो रहा है। 
  • पहले यह राइड शेयरिंग और फ़ूड डिलीवरी तक सीमित थी, लेकिन अब इसका विस्तार स्वास्थ्य देखभाल सेवा, शिक्षा, क्रिएटिव सेवाएं और कंसल्टिंग सेवा जैसे अनेक क्षेत्रों तक हो चुका है।
  • नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2020-21 में 77 लाख गिग वर्कर्स कार्यरत थे।
    • अनुमान है कि 2030 तक यह संख्या 2.3 करोड़ (23 मिलियन) तक पहुंच जाएगी।  

गिग वर्कर्स के समक्ष मुख्य चुनौतियां

  • कार्य-दशाएं:
    • गिग वर्कर्स के रोजगार की सुरक्षा की गारंटी नहीं होती है, और न ही उन्हें स्थायी कर्मचारियों को मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिल पाता है।
    • उन्हें लंबी अवधि तक कार्य करना पड़ता है और कार्य का कोई निश्चित समय भी नहीं होता है। इन वजहों से अक्सर उनमें तनाव और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं देखी जाती हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान ऐसी समस्याएं काफी बढ़ गई थीं।
  • गिग वर्कर्स की शिकायतों के समाधान के लिए उचित तंत्र का अभाव: अगर वे शोषणकारी कार्यप्रणालियों के खिलाफ आवाज उठाते हैं, तो प्लेटफॉर्म द्वारा अक्सर उनकी ID ब्लॉक कर दी जाती है, जिससे उनका रोजगार अचानक छिन जाता है।
  • गिग वर्कर्स, विशेषकर महिलाओं में डिजिटल साक्षरता की कमी है।
  • पुरुष-महिला गिग वर्कर्स में भेदभाव:
    • युवाओं, खासकर महिलाओं को अपेक्षाकृत कम पारिश्रमिक मिलता है।
    • महिलाओं को नौकरी के साथ-साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों का दोहरा भार उठाना पड़ता है।

गिग वर्कर्स के कल्याण के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदम

  • न्यायपूर्ण श्रम (कार्य) पद्धतियों को बढ़ावा देना चाहिए:
    • गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ प्रदान करना चाहिए।
    • उन्हें निरंतर कौशल विकास का अवसर प्रदान करना चाहिए।
    • न्यूनतम पारिश्रमिक और कार्य के निर्धारित व संतुलित घंटे सुनिश्चित किए जाने चाहिए।
    • गिग वर्कर्स की शिकायतों और विवादों के समाधान के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  • गिग वर्कर्स के पंजीकरण के लिए एक वैधानिक राष्ट्रीय रजिस्ट्रार की स्थापना करनी चाहिए।  
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