अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (ILC), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की वार्षिक बैठक है।
113वें सम्मेलन की मुख्य उपलब्धियों पर एक नजर
- कार्य-परिवेश में जैविक खतरों पर कन्वेंशन, 2025 (कन्वेंशन संख्या 192) को अपनाया गया: यह कार्य-परिवेश में जैविक खतरों से निपटने वाला पहला अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
- इस कन्वेंशन में सदस्य देशों से व्यवसाय (पेशा) की प्रकृति की वजह से कर्मचारियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय नीतियां बनाने तथा जैविक खतरों की रोकथाम एवं सुरक्षा से संबंधित उपाय अपनाने की सिफारिश की गई है।
- सामुद्रिक श्रम कन्वेंशन, 2006 (Maritime Labour Convention: MLC) में संशोधन को मंजूरी: संशोधन के तहत नाविकों (Seafarer) को “अपने जहाज से बाहर समय व्यतीत करने (shore leave) और स्वदेश वापसी के अधिकार” देने के प्रावधान किए गए हैं। साथ ही, इसमें नाविकों को प्रमुख श्रमिक (key workers) के रूप में मान्यता देने की भी मांग की गई है।
- सामुद्रिक श्रम कन्वेंशन बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय कानून है। यह जहाजों पर सभी नाविकों के लिए न्यूनतम कार्य-दशाएं मानक और न्यूनतम जीवन स्तर मानक उपलब्ध कराना सुनिश्चित करता है। भारत ने 2015 में इस कन्वेंशन की अभिपुष्टि की थी।
- प्लेटफ़ॉर्म आधारित अर्थव्यवस्था में सम्मानित कार्य: इस कन्वेंशन में प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था में सम्मानित कार्य सुनिश्चित करने को लेकर पहली बार मानक निर्धारित करने पर चर्चा की गई थी। यह चर्चा डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े कामगारों के अधिकारों और कार्य-दशाओं को बेहतर बनाने की दिशा में अहम कदम है।
- अनौपचारिक कार्य को कम करने पर संकल्प: अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन ने अनौपचारिक कार्य को कम करने और औपचारिक कार्य को अपनाने को समर्थन देने के लिए एक संकल्प अपनाया है।
- इस संकल्प में विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्रक के कामगारों के लिए कार्य-दशाओं में सुधार, सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार और सम्मानित कार्य सुनिश्चित करने हेतु तत्काल कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
- अन्य उपलब्धियां: 2025 में दोहा में आयोजित होने वाले द्वितीय “सामाजिक विकास के लिए विश्व शिखर सम्मेलन” में ILO के त्रिपक्षीय योगदान को औपचारिक रूप से मंजूरी दी गई।
सामाजिक न्याय के लिए वैश्विक गठबंधन
|