IBCA की पहली सभा नई दिल्ली में आयोजित की गई। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने इस सभा की अध्यक्षता की। साथ ही, IBCA के महानिदेशक की नियुक्ति भी की गई।
- यह सभा IBCA की सर्वोच्च निर्णय-निर्माणकारी संस्था है। इसकी प्रत्येक दो वर्षों में कम-से-कम एक बार बैठक आयोजित होती है।
IBCA के बारे में
- यह कई देशों और कई एजेंसियों का एक समूह (गठबंधन) है। इसमें 95 ऐसे देश शामिल हैं- जहां बड़ी बिल्ली प्रजातियां पाई जाती हैं, और कुछ ऐसे देश भी हैं, जो बड़ी बिल्लियों के संरक्षण में रुचि रखते हैं।
- इन बड़ी बिल्लियों में बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा शामिल हैं। (टेबल देखें)
- उत्पत्ति: IBCA को भारत के प्रधान मंत्री ने 2023 में लॉन्च किया था। इसे ‘प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने’ के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम के दौरान लॉन्च किया गया था।
- मुख्य उद्देश्य: बड़ी बिल्लियों के संरक्षण हेतु सर्वोत्तम पद्धतियों को साझा करने के लिए एक समर्पित मंच की स्थापना करके सहयोग एवं समन्वय को बढ़ावा देना।
- संस्थापक सदस्य (16 देश): आर्मेनिया, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, मिस्र, इथियोपिया, इक्वाडोर, भारत, केन्या, मलेशिया, मंगोलिया, नेपाल, नाइजीरिया, पेरू, सूरीनाम और युगांडा।
- भारत इसका मेजबान देश है और यहां इसका सचिवालय भी है।
बड़ी बिल्लियों और उनके पर्यावासों की सुरक्षा का महत्त्व
- जैव विविधता की रक्षा करता है: कीस्टोन प्रजाति के रूप में बड़ी बिल्लियां पारिस्थितिक-तंत्र को संतुलित करती हैं और जैव विविधता की रक्षा करती हैं।
- जलवायु परिवर्तन शमन: बड़ी बिल्लियों के पर्यावासों के संरक्षण से वनों, जल स्रोतों और कार्बन सिंक की सुरक्षा होती है। इससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में सहायता मिलती है।
- अर्थव्यवस्था में योगदान: आजीविका के अवसर उपलब्ध होते हैं और इकोटूरिज्म को बढ़ावा मिलता है।