पिछले 23 वर्षों में पहली बार कोई भारतीय प्रधान-मंत्री साइप्रस की राजकीय यात्रा पर गए थे। इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान भारत-साइप्रस ने "व्यापक साझेदारी के कार्यान्वयन पर संयुक्त घोषणा-पत्र" पर हस्ताक्षर किए।
- भारत के प्रधान मंत्री को साइप्रस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III' से सम्मानित किया गया।
भारत-साइप्रस संयुक्त घोषणा-पत्र के प्रमुख बिंदु
- दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति अपना समर्थन दोहराया।
- दोनों देशों ने ‘साइप्रस समस्या’ (Cyprus Question) के पूर्ण और स्थायी समाधान हेतु संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में वार्ता फिर से शुरू करने की अपनी प्रतिबद्धता जताई।
- साइप्रस ने भारत में सीमा-पार आतंकवादी हिंसा की निंदा की और हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में आलोचना की।
भारत के लिए साइप्रस क्यों महत्वपूर्ण है?
- तुर्की-पाकिस्तान गठजोड़ को प्रतिसंतुलित करना: भारत के प्रधान मंत्री की साइप्रस यात्रा पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने की भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
- तुर्की ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन किया है और उसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी पाकिस्तान का पक्ष लिया था।
- यूरोप का प्रवेश द्वार: साइप्रस भारत-यूरोप को जोड़ने वाले ऊर्जा गलियारे का हिस्सा है। साथ ही, वह भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) के माध्यम से पूर्व-पश्चिम कनेक्टिविटी को भी सशक्त बना सकता है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): 2000–2025 के बीच साइप्रस ने भारत में कुल 14.65 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था। इस तरह साइप्रस भारत में निवेश करने वाले शीर्ष 10 देशों में शामिल है।
- भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को मजबूत बनाने में योगदान: 2026 में साइप्रस यूरोपीय संघ (EU) की परिषद की अध्यक्षता करेगा। इससे साइप्रस यूरोपीय संघ के भीतर भारत के हितों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- गौरतलब है कि EU के सदस्य देश यूरोपीय संघ की परिषद की बारी-बारी से अध्यक्षता करते हैं।
- अन्य दृष्टि से महत्त्व: साइप्रस भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता, तथा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्यता के लिए समर्थन देता रहा है।

साइप्रस समस्या क्या है?
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