बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य में इस महीने के अंत में होने वाले आगामी नगर पालिका और शहरी निकाय चुनावों के लिए एंड्रॉइड-आधारित मोबाइल का उपयोग करके ई-वोटिंग प्रणाली शुरू करने का निर्णय लिया है।
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग (ई-वोटिंग) सिस्टम लोगों को कंप्यूटर, वोटिंग मशीन (DREs) और स्मार्ट कार्ड जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करके वोट करने में सक्षम बनाएगा।
बिहार में होने वाली ई-वोटिंग की मुख्य विशेषताएं
- मोबाइल ऐप्लिकेशन: ई-वोटिंग प्रक्रिया में दो एंड्रॉइड आधारित मोबाइल ऐप्स का इस्तेमाल होगा (अर्थात् – “e-Voting SECBHR”)। इनमें एक ऐप C-DAC द्वारा और दूसरा बिहार राज्य चुनाव आयोग द्वारा विकसित किया गया है।
- सुरक्षा: इस सिस्टम में ब्लॉकचेन तकनीक, लाइवनेस डिटेक्शन, और चेहरे की पहचान (फेस मैच, लाइव स्कैन एवं तुलना) जैसी सुविधाएं शामिल हैं, ताकि वोटिंग प्रक्रिया सुरक्षित व वैध तरीके से हो।
- ऑडिट ट्रेल: जैसे EVM के साथ VVPAT होता है, वैसे ही यहां हर वोट को ट्रैक और जांचने के लिए ऑडिट ट्रेल की व्यवस्था की गई है। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और रिकॉर्ड से छेड़छाड़ नहीं की जा हो सकेगी।
ई-वोटिंग का महत्त्व
- बेहतर पहुंच: ई-वोटिंग उन लोगों के लिए मतदान को आसान बनाती है, जो पारंपरिक वोटिंग में अक्सर बाधाओं का सामना करते हैं — जैसे कि प्रवासी मजदूर, दिव्यांगजन आदि।
- युवा और मोबाइल वोटर: ऑनलाइन वोटिंग तकनीक समझने वाले युवाओं के लिए बहुत उपयुक्त है। यह पहली बार वोट डालने वालों के लिए मतदान आसान बनाती है और उनमें लंबे समय तक मतदान की आदत विकसित करने में मदद करती है।
- मतदाता संख्या में वृद्धि: ऑनलाइन वोटिंग से समय और मेहनत की बचत होती है, जिससे ज्यादा लोग वोट डाल पाते हैं। विशेषकर हाशिए पर मौजूद और लगातार यात्रा करने वाले लोग आसानी से मतदान कर सकते हैं।
ई-वोटिंग को लेकर चिंताएं
- ई-वोटिंग हैकिंग, गड़बड़ी और धोखाधड़ी के खतरे के प्रति सुभेद्य हो सकती है। घर से वोट डालने पर यह सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाता है कि मतदान गोपनीय और दबावमुक्त हुआ है या नहीं। इसके अलावा, इंटरनेट की सुविधा या डिजिटल जानकारी न होने पर कई नागरिक इससे वंचित भी रह सकते हैं।
निष्कर्ष
ई-वोटिंग को अपनाना चुनावी प्रणाली के आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो मतदान को और अधिक सुलभ एवं सुविधाजनक बनाने का वादा करता है। हालांकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि साइबर सुरक्षा, डिजिटल रूप से वंचित लोगों की भागीदारी और मतदाता पर दबाव जैसे मुद्दों को किस तरह से सुलझाया जाता है, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास एवं समावेशिता बनी रहे।