भारत के विदेश सचिव के अनुसार भारत और कनाडा ने उच्चायुक्तों की फिर से नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की
हाल ही में संपन्न G-7 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और कनाडा के प्रधान-मंत्रियों की बैठक संपन्न हुई थी। इस बैठक में दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के महत्त्व की फिर से पुष्टि की।
- वर्ष 2024 में द्विपक्षीय संबंधों में आई कड़वाहट के बाद भारत-कनाडा संबंध निष्क्रिय हो गए थे। भारत-कनाडा संबंधों के फिर से बहाल होने की दिशा में इसे एक संयमित कदम के रूप में देखा जा रहा है।
भारत और कनाडा के प्रधान-मंत्रियों की बैठक के अन्य प्रमुख परिणाम:
- दोनों नेताओं ने स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने में साझा रुचि को दोहराया।
- दोनों नेताओं ने स्वच्छ ऊर्जा, शिक्षा व आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने में भविष्य में सहयोग करने और व्यापार समझौतों पर फिर से वार्ता शुरू करने की संभावनाओं पर चर्चा की।
भारत-कनाडा संबंधों में हालिया गिरावट के लिए जिम्मेदार कारक:
- खालिस्तानी उग्रवाद का मुद्दा: कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादी तत्वों को शरण दी जाती है। भारत इसे अपनी संप्रभुता के लिए खतरा मानता है।
- उदाहरण के लिए: वर्ष 2023 में कनाडा में एक गैर-आधिकारिक जनमत संग्रह आयोजित किया गया था जिसमें एक स्वतंत्र सिख राष्ट्र के गठन की मांग की गई थी।
- कूटनीतिक तनाव: कनाडा सरकार ने अपने देश में एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या में भारतीय राजनयिकों की संलिप्तता का आरोप लगाया था। इसके बाद अक्टूबर 2024 में दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था।
- सुरक्षा के मामले में सहयोग नहीं मिलना: भारत ने कनाडा में शरण लिए खालिस्तानी आतंकियों के कई बार प्रत्यर्पण की मांग की, परंतु कनाडा सरकार ने इन अनुरोधों का जवाब नहीं दिया।
भारत-कनाडा संबंध
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