टाइम रिलीज स्टडी (NTRS) एक प्रदर्शन माप साधन है, जो कार्गो रिलीज़ में लगने वाले समय के मात्रात्मक मूल्यांकन संबंधी जानकारी देता है। यह रिपोर्ट केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने तैयार की है। इसका उद्देश्य यह जांच करना है कि देश के पत्तन, एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स (ACCs), अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (ICDs) और एकीकृत चेक पोस्ट (ICPs) पर कार्गो कितनी तेजी से क्लीयर (रिलीज) होता है। इससे भारत की लॉजिस्टिक्स प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
- रिपोर्ट में 2023 और 2025 के बीच प्रमुख आयात गेटवे पर कार्गो निकासी समय में उल्लेखनीय प्रगति दिखाई गई है (इन्फोग्राफिक्स देखें)
भारत के लिए लॉजिस्टिक्स क्यों जरूरी है?

- एक मजबूत लॉजिस्टिक्स सेक्टर व्यापार को बढ़ाता है, कारोबार की लागत कम करता है और भारतीय उद्योगों को वैश्विक बाजार से जोड़ता है। इससे 'मेक इन इंडिया' जैसी योजनाओं को भी सफलता मिलती है।
- रोजगार: लॉजिस्टिक्स सेक्टर में 2.2 करोड़ से ज्यादा लोग काम करते हैं।
- प्रतिस्पर्धा: लॉजिस्टिक्स लागत कम होने से भारतीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलती है।
- वर्तमान स्थिति: 2023 में वर्ल्ड बैंक के लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स में भारत 139 देशों में 38वें स्थान पर था, जबकि 2018 में 44वें स्थान पर था।
- 2030 तक का लक्ष्य:
- लॉजिस्टिक्स में दुनिया के टॉप 25 देशों में आना;
- लॉजिस्टिक्स लागत को GDP के 10% से कम करना आदि।
भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर में सुधार के लिए उठाए गए कदम:
- समर्पित माल भाड़ा गलियारे (DFCs): उत्तरी और पश्चिमी DFCs के बनने से माल ढुलाई में लगने वाला समय 20–30% तक कम हो गया है।
- अब तक 96% (2,741 किमी) मार्ग चालू हो चुके हैं।
- ई-वे बिल सिस्टम: जीएसटी के तहत शुरू हुआ यह सिस्टम माल की ट्रैकिंग आसान बनाता है और सड़क परिवहन में देरी को कम करता है।
- राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (2022): इसका लक्ष्य लॉजिस्टिक्स की लागत को GDP के 13–14% से घटाकर लगभग 8–9% तक लाना है।
- नेशनल ट्रेड फैसिलिटेशन एक्शन प्लान (NTFAP) 3.0 (2024–27): CBIC द्वारा शुरू की गई यह योजना बंदरगाहों पर कार्गो या माल रिलीज होने में लगने वाले समय को कम करने पर ध्यान देती है।
- यह WTO के ट्रेड फैसिलिटेशन एग्रीमेंट के अनुरूप है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को आसान बनाया जा सके।