इसकी स्थापना का निर्णय 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) द्वारा पारित एक प्रस्ताव के बाद लिया गया था। इस प्रस्ताव में इस प्रकार की एक अंतर-सरकारी संस्था स्थापित करने की मांग की गई थी।
- इस पैनल से जुड़ी वार्ताओं का आयोजन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा किया गया था, जो अब इस पैनल का मुख्यालय भी होगा।
- नया पैनल राष्ट्रों को रसायनों, अपशिष्ट और प्रदूषण की रोकथाम से संबंधित मुद्दों पर स्वतंत्र व नीति-प्रासंगिक वैज्ञानिक सलाह भी प्रदान करेगा।
- अगला कदम इस पैनल के पहले पूर्ण सत्र (plenary session) की तैयारी करना है। इस सत्र में सरकारें इसके प्रारंभिक कार्य कार्यक्रम, प्राथमिकताओं और साझेदारी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करेंगी तथा उन्हें अपनाएंगी।
- यह पैनल जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) और जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाओं पर विज्ञान-नीति मंच (IPBES) के साथ विश्व का तीसरा वैज्ञानिक सलाहाकारी मंच है।
पैनल की आवश्यकता क्यों है?
- त्रिग्रही पृथ्वी संकट (Triple Planetary Crisis) के प्रभाव को कम करने के लिए:
इसमें जलवायु परिवर्तन; प्रकृति और जैव विविधता की हानि तथा प्रदूषण व अपशिष्ट का संकट शामिल है। - रसायनों, अपशिष्ट और प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए:
- आज की आधुनिक जीवनशैली में उपयोग होने वाले रसायनों की मात्रा बढ़ गई है, जिनसे अनचाहे और नुकसानदायक प्रभाव पैदा हो रहे हैं।
- घरों और शहरों से निकलने वाला ठोस अपशिष्ट 2023 में लगभग 2.1 बिलियन टन था, जिसके 2050 तक बढ़कर करीब 3.8 बिलियन टन होने की संभावना है।
- पिछले दो दशकों में नए तरह के प्रदूषण करीब 66% बढ़ गए हैं।