वर्तमान में विश्व में जारी भू-राजनीतिक संघर्षों से पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं। इन प्रभावों में ईरान के परमाणु ठिकानों से रेडियोएक्टिव संदूषण फैलना भी शामिल है।
संघर्षों/ युद्धों का पर्यावरण पर प्रभाव
- ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन: वैश्विक सैन्य गतिविधियां 5.5% वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।
- प्रदूषण और संदूषण: पूर्वी यूक्रेन के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित पावर प्लांट्स, केमिकल फैक्ट्री, तथा पुरानी खदानों से अधिक हानिकारक विषाक्त प्रदूषक उत्सर्जित होने का खतरा बढ़ गया है।
- यूक्रेन में लैंडमाइंस और निष्क्रिय विस्फोटक भविष्य में घातक साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, सैन्य गतिविधियों की वजह से मृदा, जल और जंगल प्रदूषित हो रहे हैं। इनकी सफाई की अनुमानित लागत लगभग 34.6 अरब अमेरिकी डॉलर है।
- घटते संसाधन और जैव विविधता को नुकसान: युद्ध और संघर्ष वनों की कटाई को बढ़ावा देते हैं तथा कृषि कार्य को बाधित करते हैं। यही नहीं, सैन्य गतिविधियों से वन्यजीवों के पर्यावास नष्ट होते हैं और अवैध शिकार को बढ़ावा मिलता है। इससे जैव विविधता को नुकसान पहुंचता है।
- उदाहरण के लिए- वियतनाम युद्ध के दौरान, एजेंट ऑरेंज जैसी शाकनाशियों (हर्बीसाइड) के व्यापक उपयोग के चलते विशाल वन क्षेत्र नष्ट हो गया था।
अंतर्राष्ट्रीय समझौते
- पेरिस समझौता 2015: इसमें सैन्य गतिविधियों से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन की स्वैच्छिक रिपोर्टिंग का प्रावधान किया गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की रोम संविधि (Rome Statute), 1998: इसमें अंतर्राष्ट्रीय सशस्त्र संघर्षों के दौरान पर्यावरण को व्यापक, दीर्घकालिक और गंभीर क्षति को ‘युद्ध अपराध’ माना गया है।
- पर्यावरण संशोधन तकनीकों के सैन्य या किसी अन्य शत्रुतापूर्ण उपयोग पर प्रतिबंध पर कन्वेंशन (ENMOD): यह कन्वेंशन पर्यावरण में संशोधन करने वाली तकनीकों (जैसे मौसम में कृत्रिम बदलाव) के सैन्य या शत्रुतापूर्ण उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है।