CARA ने बाल दत्तक ग्रहण के सभी चरणों में परामर्श सहायता को मजबूत करने के लिए राज्यों को निर्देश जारी किए | Current Affairs | Vision IAS
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ये निर्देश किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (2021 में संशोधित) तथा दत्तक ग्रहण विनियम, 2022 के तहत राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसियों (SARAs) के लिए जारी किए गए हैं।

SARAs को दिए गए मुख्य निर्देश:

  • सभी प्रमुख हितधारकों जैसे- संभावित दत्तक ग्रहण करने वाले माता-पिता, दत्तक ग्रहण किए गए बच्चे और जैविक माता-पिता के लिए मनोसामाजिक सहायता ढांचे को मजबूत किया जाए।
  • SARAs को जिलों और राज्य स्तर पर योग्य परामर्शदाताओं को नामित/ पैनल में शामिल करना होगा। 
  • यदि विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियां (SAAs) या जिला बाल संरक्षण इकाइयां (DCPUs) किसी अन्य स्थिति में भी परामर्श की आवश्यकता महसूस करें, तो मनोसामाजिक हस्तक्षेप की व्यवस्था की जाए।

भारत में बाल दत्तक ग्रहण

  • नोडल मंत्रालय: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय।
  • प्राथमिक कानून: भारत में दत्तक ग्रहण मुख्य रूप से हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 तथा किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2000 द्वारा नियंत्रित होता है।
  • नोडल केंद्रीय एजेंसी: केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) घरेलू और अंतर्देशीय दत्तक ग्रहण को विनियमित करता है। CARA को किशोर न्याय अधिनियम के तहत स्थापित किया गया है।
  • बच्चों के संरक्षण और अंतर्देशीय दत्तक ग्रहण में सहयोग पर हेग कन्वेंशन (1993): यह अंतर्देशीय दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को नैतिक, कानूनी और पारदर्शी बनाता है। साथ ही, बाल तस्करी को रोकने में भी मदद करता है।
  • राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी: राज्य और केंद्र शासित प्रदेश किशोर न्याय अधिनियम को निम्नलिखित संस्थानों के माध्यम से लागू करते हैं:
    • राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसियां (SARA);
    • स्थानीय बाल कल्याण समितियां; तथा 
    • जिला बाल संरक्षण इकाइयां (DCPUs)

केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) के बारे में

  • CARA महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है।
  • निगरानी: यह देश में दत्तक ग्रहण और अंतर्देशीय दत्तक ग्रहण दोनों की निगरानी करता है।
  • केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में नामित: CARA को हेग कन्वेंशन, 1993 के प्रावधानों के अनुसार अंतर्देशीय दत्तक ग्रहण के संबंध में केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में नामित किया गया है। भारत ने हेग कन्वेंशन की 2003 में अभिपुष्टि की थी।  
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