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भारत के विदेश मंत्री ने प्रथम बिम्सटेक पारंपरिक संगीत समारोह में निष्पक्ष और प्रतिनिधित्वपूर्ण वैश्विक व्यवस्था का आह्वान किया | Current Affairs | Vision IAS
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भारत के विदेश मंत्री ने प्रथम बिम्सटेक पारंपरिक संगीत समारोह में निष्पक्ष और प्रतिनिधित्वपूर्ण वैश्विक व्यवस्था का आह्वान किया

Posted 06 Aug 2025

1 min read

उन्होंने कहा कि सामूहिक इच्छा यह है कि एक निष्पक्ष और प्रतिनिधिक वैश्विक व्यवस्था हो, न कि कुछ शक्तियों के प्रभुत्व से युक्त। 

  • यह बयान अमेरिका द्वारा भारत पर 25% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की पृष्ठभूमि में आया है।

गैर-प्रतिनिधिक वैश्विक व्यवस्था 

  • अमेरिकी प्रभुत्व: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वैश्विक उदारवादी व्यवस्था को आकार देने में अमेरिकी प्रभुत्व की अवधारणा केंद्र में रही है।  
    • हाल के दशकों में अमेरिकी प्रभुत्व में सापेक्ष गिरावट आई है, जिसके निम्नलिखित कारण हैं: 
      • उभरती शक्तियों जैसे चीन से आर्थिक प्रतिस्पर्धा, 
      • रणनीतिक अति-विस्तार, और 
      • बहुपक्षीय संस्थानों से पीछे हटना। 
  • भू-राजनीतिक शक्ति के साधन के रूप में व्यापार: इसमें विकसित देशों की टैरिफ नीतियां शामिल हैं, जैसे- यूरोपीय संघ का कार्बन टैक्स और व्यापार नीति के हिस्से के रूप में आर्थिक प्रतिबंध।
  • वैश्विक संस्थाओं में असमान प्रतिनिधित्व: ग्लोबल साउथ का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व बैंक जैसी संस्थाओं में समान प्रतिनिधित्व नहीं है। 
  • अप्रभावी बहुपक्षवाद: शक्तिशाली राष्ट्र बहुपक्षीय मंचों को दरकिनार कर देते हैं। इससे वास्तविक वैश्विक सहयोग कमजोर होता है और खंडित एवं हित-चालित वैश्विक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न होती हैं। 
  • डी-ग्लोबलाइजेशन और क्षेत्रीय एकीकरण: शक्ति अधिक बिखरी हुई और ASEAN, QUAD, BRICS जैसे क्षेत्रीय गुटों में केंद्रित हो रही है।

आगे की राह 

  • बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का विस्तार, ब्रेटन वुड्स संस्थाओं का पुनर्गठन और ग्लोबल साउथ की अधिक भागीदारी। 
  • समावेशी बहुपक्षवाद: G-20, BRICS, IBSA जैसे समूहों को मजबूत करना और सहमति-आधारित निर्णय लेने की अनुमति देना। 
  • मुद्दों पर आधारित सहयोग बढ़ाना: शांति, जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार जैसे वैश्विक मुद्दों का सहमति से समाधान करना। 
  • Tags :
  • Global South
  • Multilateralism
  • Multilateral Institutions
  • Global Order
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