हेपेटाइटिस D एक कमजोर वायरस है, जिसे प्रतिकृति के लिए हेपेटाइटिस B वायरस (HBV) की आवश्यकता होती है।
- इसका अर्थ है कि हेपेटाइटिस D केवल उन्हीं लोगों को प्रभावित करता है, जिन्हें पहले से ही हेपेटाइटिस B है, चाहे वह इसके साथ-साथ प्रभावित करे या बाद में।
हेपेटाइटिस वायरस के बारे में

- वायरल हेपेटाइटिस (प्रकार A, B, C, D, और E) गंभीर लिवर संक्रमण के प्रमुख कारण हैं।
- हालांकि, केवल हेपेटाइटिस B, C, और D ही चिरकालिक संक्रमण का कारण बन सकते हैं। इससे लिवर सिरोसिस, लिवर फेलियर या कैंसर का जोखिम अधिक होता है।
- हेपेटोसेल्युलर कार्सिनोमा (एक प्रकार का लिवर कैंसर) विश्व स्तर पर शीर्ष 10 कैंसरों में से एक है।
- टीके की उपलब्धता:
- हेपेटाइटिस C वायरस के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
- हेपेटाइटिस B का टीका HDV (हेपेटाइटिस D वायरस) संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है।
- वैश्विक प्रभाव:
- हेपेटाइटिस B, C और D से दुनियाभर में 300 मिलियन से ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं और हर साल करीब 1.3 मिलियन लोगों की मौत होती है।
- इनसे ग्रसित अधिकतर लोगों को पता ही नहीं होता कि उन्हें यह बीमारी है।
- प्रमुख पहलें:
- भारत: राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (2018) का उद्देश्य SDG 3.3 के अनुरूप 2030 तक हेपेटाइटिस C को खत्म करना है। साथ ही, इसके अन्य प्रकारों से होने वाली मौतों को भी कम करना है।
- वैश्विक: HIV, वायरल हेपेटाइटिस और यौन संचारित संक्रमणों पर WHO की वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्रक रणनीति (2022-2030) का उद्देश्य लोक स्वास्थ्य समस्या के रूप में वायरल हेपेटाइटिस का उन्मूलन करना है।
हेपेटाइटिस से निपटने में प्रमुख चुनौतियां
- कम निदान (डायग्नोसिस): 2022 में केवल 13% हेपेटाइटिस B और 36% हेपेटाइटिस C मामलों का ही निदान हो पाया था।
- खराब टीका कवरेज: भारत में, टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल होने के बावजूद, हेपेटाइटिस B टीके का कवरेज सिर्फ 50% है।
- सीमित इलाज: इलाज के लिए बहुत कम दवाएं उपलब्ध हैं, हालांकि बुलेविर्टाइड (Bulevirtide) जैसी नई दवाएं उम्मीद जगा रही हैं।