रूस ने इसके पीछे अमेरिका की हालिया सैन्य कार्रवाइयों का हवाला दिया है। इन कार्रवाइयों में रूसी तटों के करीब दो परमाणु पनडुब्बियों को तैनात करने का अमेरिकी आदेश और फिलीपींस में टाइफून मिसाइल प्रणाली की तैनाती शामिल है।
इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज़ (INF) संधि के बारे में
- यह संधि 1987 में संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच हस्ताक्षरित की गई थी। इस संधि के तहत 500-5,500 किमी की रेंज की सभी जमीन से प्रक्षेपित बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों को नष्ट करना आवश्यक था।
- यह परमाणु शस्त्रागार को कम करने, हथियारों की एक पूरी श्रेणी को हटाने तथा सत्यापन के लिए साइट पर निरीक्षण की अनुमति देने वाला पहला बड़ा समझौता था।
- 2019 में अमेरिका के इस संधि से हटने के बाद यह पहले ही कमजोर हो गई थी।
परमाणु हथियार नियंत्रण पर प्रभाव
- शस्त्र नियंत्रण फ़्रेमवर्क्स का खंडित होना: देशों के बीच विश्वास कमजोर हुआ है, जिससे भविष्य में परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रयास कठिन हो जाएंगे।
- परमाणु निरस्त्रीकरण पर नकारात्मक प्रभाव: प्रमुख शक्तियां परमाणु हथियारों के आधुनिकीकरण में तेजी ला रही हैं, जबकि परमाणु हथियार विहीन देश अपनी परमाणु अप्रसार प्रतिबद्धताओं पर पुनर्विचार कर रहे हैं। इससे वैश्विक अस्थिरता बढ़ रही है।
- शीत युद्ध की राजनीति की वापसी: संधि के प्रभावहीन होने से शीत युद्ध युग के यूरोपीय मिसाइल संकट के फिर से उभरने की आशंका उत्पन्न हो गई है।
- सुरक्षा संबंधी जोखिम में वृद्धि: इस तरह की मिसाइलें बहुत तेजी से लक्ष्य तक पहुंच सकती हैं, जिससे प्रक्षेपण संबंधी भ्रामक अलर्ट के कारण वैश्विक परमाणु संघर्ष की संभावना बढ़ सकती है।
प्रमुख परमाणु हथियार नियंत्रण समझौते
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