इन परियोजनाओं की स्थापना ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश में की जाएगी। इस मंजूरी के साथ, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत स्वीकृत कुल परियोजनाओं की संख्या 6 राज्यों में 10 हो गई है।
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के बारे में
- स्वीकृति: 2021 में, 76,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ।
- उद्देश्य: सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन, डिस्प्ले निर्माण और चिप डिजाइन में निवेश के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना, ताकि भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखला में बेहतर तरीके से समेकित किया जा सके।
- मंत्रालय: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय।
- ISM का मुख्य फोकस
- चिप विनिर्माण संयंत्र (फैब) स्थापित करना;
- पैकेजिंग और टेस्टिंग यूनिट विकसित करना;
- चिप डिजाइन में स्टार्ट-अप्स को सहयोग प्रदान करना;
- युवा इंजीनियरों को प्रशिक्षण देना।
- वैश्विक कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित करना।
- ISM के तहत प्रमुख योजनाएं
- सेमीकंडक्टर फैब्स योजना: यह सेमीकंडक्टर वेफर फेब्रिकेशन (फैब) इकाइयों की स्थापना के लिए 50% तक वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- डिस्प्ले फैब्स योजना: डिस्प्ले फेब्रिकेशन इकाइयां स्थापित करने के लिए परियोजना लागत का 50% तक वित्तीय सहयोग देती है।
- डिजाइन से संबद्ध प्रोत्साहन (DLI) योजना: सेमीकंडक्टर डिज़ाइन स्टार्ट-अप्स और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) को उत्पाद विकास के विविध चरणों में वित्तीय सहायता देकर प्रोत्साहन देती है।
- सेमीकॉन (SEMICON) इंडिया कार्यक्रम: यह ISM के माध्यम से कार्यान्वित एक प्रमुख कार्यक्रम है। यह नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक उद्योग जगत के नेतृत्वकर्ताओं, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों, स्टार्ट-अप्स और अन्य हितधारकों को एक साथ लाता है।
- मिशन का महत्त्व:
- भारत के बढ़ते सेमीकंडक्टर बाजार की क्षमताओं का दोहन करना। इस बाजार के 2030 तक 100-110 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के जोखिमों को कम करना और ताइवान, चीन, अमेरिका जैसे देशों पर निर्भरता को कम करना।
- ताइवान, विश्व में विनिर्मित सेमीकंडक्टर में से 60% से अधिक का उत्पादन करता है।