उनके निष्कर्ष बताते हैं कि इस दौरान AMOC में प्राकृतिक उतार-चढ़ाव तो हुए, फिर भी यह इस समय, अर्थात् होलोसीन युग के दौरान काफी हद तक स्थिर रहा।
- हालांकि, भविष्य के अनुमान बताते हैं कि मानव-जनित जलवायु परिवर्तन AMOC को अभूतपूर्व रूप से कमजोर कर सकता है।
AMOC के बारे में:

- AMOC अटलांटिक महासागर में समुद्री धाराओं की एक प्रणाली है। यह उष्ण कटिबंध से उत्तरी ध्रुव की ओर गर्म जल धाराओं को प्रसारित करती है। साथ ही ठंडे, खारे व सघन जल को उष्ण कटिबंध तथा दक्षिण ध्रुव की ओर विस्तारित करती है।
- संचालक बल: यह प्रणाली तापमान और लवणता की मात्रा में भिन्नता से संचालित होती है।
- गर्म उष्णकटिबंधीय जल ध्रुवों की ओर बढ़ता है, वहां ठंडा और भारी होकर उत्तरी अटलांटिक में नीचे डूब जाता है, फिर दक्षिण की ओर बहता है तथा दोबारा गर्म होकर सतह पर आ जाता है। इस तरह यह चक्र (cycle) फिर से शुरू हो जाता है।
- महत्त्व:
- मौसम और मानसून: यह वर्षा के पैटर्न को प्रभावित करता है, जिसमें भारतीय मानसून एवं पश्चिम अफ्रीका के साहेल क्षेत्र की वर्षा भी शामिल है।
- ऊष्मा का परिवहन: यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से उच्च अक्षांशों तक ऊष्मा पहुँचाता है, जिससे यूरोप के मौसम को संतुलित करने में मदद मिलती है।
- कार्बन अवशोषण: यह भारी और कार्बन-समृद्ध जलराशियों को सतह से गहरे समुद्र तक पहुँचाता है।
- चिंताएं: AMOC के क्षरण की संभावना है, क्योंकि इस प्रणाली का ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों और आर्कटिक की बर्फ की चादरों के अनुमान से अधिक तेजी से पिघलने के कारण क्षरण हो रहा है। बर्फ के पिघलने से अटलांटिक में मीठे जल की मात्रा बढ़ रही है।
- ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आर्कटिक की बर्फ पिघलने से उत्तरी अटलांटिक में ठंडा व ताजा जल आता है, जिससे जल की लवणता और घनत्व कम हो जाता है। परिणामस्वरूप, AMOC के गहराई की ओर जाने तथा संचालन के लिए आवश्यक सघन जल दुर्लभ हो जाता है।
AMOC के क्षरण के संभावित प्रभाव:
- AMOC कार्बन फीडबैक: महासागर द्वारा कार्बन अवशोषण कम हो जाएगा, जिससे वायुमंडल में CO₂ और बढ़ेगी तथा वैश्विक तापमान में और तेजी से वृद्धि होगी।
- चरम मौसमी घटनाएं: जैसे– यूरोप में ठंड बढ़ना, दक्षिण अफ्रीका की वर्षा पट्टी का खिसकना (जिससे करोड़ों लोगों को सूखे का सामना करना पड़ सकता है), और समुद्र-जलस्तर में वृद्धि (जैसे- अमेरिका के पूर्वी तट पर) आदि।
- पोषक तत्वों का कम परिवहन: इससे समुद्री जीवन प्रभावित होगा, प्लवक और समुद्री पक्षियों से लेकर मछलियों एवं व्हेल तक सभी पर असर पड़ेगा।