भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव संविधान में निर्धारित प्रक्रिया के तहत होता है। इस चुनाव का पर्यवेक्षण भारत का निर्वाचन आयोग करता है।
उपराष्ट्रपति हेतु संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 66 (2): उपराष्ट्रपति न तो संसद के किसी सदन का और न ही किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का सदस्य होगा।
- कार्यकाल और रिक्ति: अनुच्छेद 67 के अनुसार उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। अनुच्छेद 68 (2) के अनुसार उपराष्ट्रपति का पद रिक्त होने की स्थिति में यथाशीघ्र चुनाव कराया जाएगा।
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की प्रक्रिया
- नामांकन: इसके लिए 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक आवश्यक हैं। साथ ही, उम्मीदवार को 15,000 रुपये की जमानत राशि और नामांकन पत्र के साथ निर्वाचन सूची में नाम की प्रमाणित प्रति संलग्न करनी होती है।
- मतदान: उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचन मंडल (Electoral College) द्वारा किया जाता है। इसमें लोक सभा और राज्य सभा के निर्वाचित एवं मनोनीत, दोनों सदस्य शामिल होते हैं।
- अनुच्छेद 66 के अनुसार मतदान आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अंतर्गत एकल हस्तांतरणीय मत (Single transferable vote) पद्धति से और गुप्त मतदान द्वारा होता है।
- उपराष्ट्रपति चुनाव में प्रत्येक वोट का मूल्य समान होता है अर्थात् एक वोट का मूल्य 1 होता है।
- कोई व्हिप नहीं: उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में दल-बदल विरोधी कानून लागू नहीं होता।
उपराष्ट्रपति पद के लिए पात्रता (अनुच्छेद 66 के अनुसार)
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