एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में 27 राज्य विधान सभाओं, 3 केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मंत्रियों के आपराधिक रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- आपराधिक मामले: 643 मंत्रियों में से 47% मंत्रियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की है।
- गंभीर आपराधिक मामले: 27% मंत्रियों ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों की घोषणा की है। इनमें हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध आदि से संबंधित मामले शामिल हैं।
राजनीति के अपराधीकरण के लिए जिम्मेदार कारक
- बाहुबल और आपराधिक सांठगांठ: धर्मवीर आयोग, 1977 के अनुसार राजनेता अपराधियों का उपयोग भय उत्पन्न करने और पैसे से मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए करते हैं। अक्सर उनकी चुनाव जीतने की क्षमता के कारण पार्टी उन्हें टिकट देकर पुरस्कृत करती है।
- धन बल: अत्यधिक चुनावी खर्च और राजनेता-नौकरशाही सांठगांठ से भ्रष्टाचार एवं अवैध फंडिंग को बढ़ावा मिलता है।
- पहचान की राजनीति: लोग चुनावों, विशेष रूप से पंचायत चुनाव में आपराधिक रिकॉर्ड की बजाय जाति/ धर्म को प्राथमिकता देते हैं।
- अन्य: कमजोर कानून, धीमी न्यायिक प्रक्रिया और सामाजिक-आर्थिक कारक जैसे- गरीबी, निरक्षरता एवं अल्प-विकास मतदाता हेरफेर को बढ़ावा देते हैं।
राजनीति के अपराधीकरण के प्रभाव:
- लोकतांत्रिक मूल्यों और कानून के शासन का क्षरण: सार्वजनिक जीवन में आपराधिक तत्वों के शामिल होने के कारण राजनीति, अपराध और हिंसा आपस में जुड़ जाते हैं।
- न्याय मिलने में कठिनाई: इससे पारदर्शिता और जवाबदेही में कमी आती है।
- भारत में सरकार के अधिक लोकतांत्रिक होने की बजाये 'अपराधियों की सरकार व अपराधियों के लिए सरकार' में बदलने का जोखिम उत्पन्न हुआ है।
किए गए उपाय:
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