भारत निर्वाचन आयोग ने 345 ‘पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (Registered Unrecognized Political Parties (RUPPs)’ के नाम को “राजनीतिक दलों की सूची” से हटाने की कार्यवाही शुरू कर दी है।
- निर्वाचन आयोग के अनुसार उपर्युक्त 345 राजनीतिक दलों ने 2019 से यानी पिछले छह वर्षों में एक भी चुनाव नहीं लड़ा है और न ही किसी स्थान पर इनका कोई कार्यालय स्थित है।
- दलों को सूची से हटाने का अंतिम निर्णय भारत निर्वाचन आयोग लेगा। इसके बाद ये राजनीतिक दल सूचीबद्ध राजनीतिक दलों को मिलने वाले लाभों से वंचित हो जाएंगे।

राजनीतिक दलों का पंजीकरण:
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (RPA, 51) की धारा 29A: यह धारा किसी राजनीतिक दल के निर्वाचन आयोग के पास पंजीकरण की आवश्यकताओं को निर्धारित करती है ,
- हालांकि, इंडियन नेशनल कांग्रेस बनाम इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल वेलफेयर (2002) मामले में दिए गए निर्णय के अनुसार, निर्वाचन आयोग के पास RPA, 1951 के तहत किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार नहीं है।
- इसका आशय है कि चुनाव आयोग किसी राजनीतिक दल का नाम ‘सूचीबद्ध राजनीतिक दल’ की सूची से हटा सकता है (De-listing) पर उसका पंजीकरण रद्द (de-register) नहीं कर सकता है।
पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) से जुड़ी चिंताएं:
- नियमों का पालन नहीं करना: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29C के तहत राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की रिपोर्टिंग अनिवार्य रूप से करनी होती है। हालांकि कई राजनीतिक दल ऐसा नहीं करते।
- वित्तीय अनियमितताएं और कर छूट का दुरुपयोग:
- आयकर छूट के अनुचित दावे: वित्त वर्ष 2019-20 में, 219 RUPPs ने 608 करोड़ रुपये के कर छूट का दावा किया था।
- कथित तौर पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप: इन आरोपों में दान प्राप्त करने की फर्जी रसीदें प्रस्तुत करना; फंड भेजने के लिए शेल कंपनियों का उपयोग करना; फर्जी लेनदेन और खरींदे, आदि शामिल हैं।
- चुनाव में भाग नहीं लेना: 2019 के लोकसभा चुनाव में, पंजीकृत होने के बावजूद लगभग 70% राजनीतिक दलों ने चुनाव नहीं लड़ा।
RUPPs से जुड़ी समस्याओं से निपटने के उपाय:
- विधि आयोग की 255वीं रिपोर्ट (2015): इसके तहत, लगातार 10 वर्षों तक चुनाव लड़ने में विफल रहने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण स्वतः रद्द कर देना चाहिए।
- भारत निर्वाचन आयोग का 2016 का ज्ञापन: इस ज्ञापन में निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार देने हेतु कानून में संशोधन करने का सुझाव दिया गया था।