पिछले दशक में भारत की रक्षा और आंतरिक सुरक्षा स्थिति मजबूती, स्पष्टता एवं आत्मनिर्भरता की ओर निर्णायक बदलाव को दर्शाती है।
रक्षा क्षमता को मजबूत करना
- रक्षा व्यय: यह 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में 6.81 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
- घरेलू उत्पादन: पिछले 10 वर्षों में यह तीन गुना बढ़कर 1.50 लाख करोड़ रुपये हो गया।
- रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया, 2020 के तहत "खरीद (भारतीय--स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और विनिर्मित: IDDM) यानी खरीद (भारतीय- IDDM)" को प्राथमिकता दी जाती है।
- सृजन पोर्टल और सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची का उद्देश्य आयात पर निर्भरता को कम करना है।
- रक्षा निर्यात: यह पिछले दशक में 34 गुना बढ़कर 23,622 करोड़ रुपये हो गया।
- अब भारतीय हथियार और उपकरण 100 से ज़्यादा देशों (जैसे- अमेरिका, फ्रांस, आर्मेनिया आदि) को निर्यात किए जाते हैं।
- अन्य सुधार
- पूंजी और उन्नत प्रौद्योगिकी को आकर्षित करने के लिए रक्षा क्षेत्रक में FDI को उदार बनाया गया है।
- iDEX और प्रौद्योगिकी विकास निधि के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।
आतंकवाद-रोधी सख्त नीति
- आतंकी हमलों के बाद कड़ा रुख अपनाते हुए सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और ऑपरेशन सिंदूर (2025) जैसी कार्रवाइयों को अंजाम दिया गया है।
- 2025 में घोषित सुदर्शन चक्र मिशन का लक्ष्य 2035 तक एक भविष्योन्मुखी व स्वदेशी राष्ट्रीय सुरक्षा कवच तैयार करना है।
- प्रधान मंत्री द्वारा बताए गए "फाइव न्यू नॉर्मल्स"।
घरेलू मोर्चे को सुरक्षित करना
- वामपंथी उग्रवाद पर काफी हद तक नियंत्रण स्थापित कर लिया गया है। इसके साथ ही, हिंसा और लोगों के हताहत होने की संख्या में 85% की कमी आई है।
- वित्तीय समावेशन तथा खाद्यान्न और डेयरी उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- भारत सेमीकंडक्टर मिशन स्वदेशी चिप डिजाइन और उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है।
