इस अवसर पर विदेश मंत्री ने व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता भी की।
- IRIGC-TEC मई 1992 में स्थापित एक तंत्र है। इसका उद्देश्य व्यापार और आर्थिक सहयोग सहित विभिन्न क्षेत्रकों में द्विपक्षीय प्रगति की नियमित निगरानी करना है।
यात्रा के मुख्य परिणाम
- आर्थिक: 2030 तक के लिए आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को समय पर अंतिम रूप देने पर चर्चा हुई। भारत-यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को जल्द पूरा करने पर जोर दिया गया। यह 2030 तक 100 बिलियन डॉलर के संशोधित द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
- क्षेत्रीय मुद्दे: यूक्रेन, पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान में घटनाक्रमों जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की गई। विदेश मंत्री ने मतभेदों को सुलझाने के लिए संवाद और कूटनीति पर बल देने के भारत के दृष्टिकोण की बात की।
- लॉजिस्टिक्स में बाधाओं को हटाना और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना: इसमें अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC), चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारा और उत्तरी सागर मार्ग शामिल थे।
- वैश्विक और बहुपक्षीय सहयोग: दोनों पक्षों ने वैश्विक गवर्नेंस में सुधार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। G-20, BRICS, SCO आदि में सहयोग को और गहरा करने पर सहमति जताई। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को आज की वास्तविकताओं के अनुरूप विस्तारित और सुधार करने की आवश्यकता पर बल दिया।
भारत-रूस संबंधभारत और रूस के बीच संबंध एक "विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी" के रूप में हैं, जिसमें विभिन्न क्षेत्रकों में व्यापक सहयोग शामिल है:
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