संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने "द सिक्योरिटी वी नीड: रिबैलेंसिंग मिलिट्री स्पेंडिंग फॉर ए सस्टेनेबल एंड पीसफुल फ्यूचर" शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।
- यह रिपोर्ट सुरक्षा एवं विकास के लिए वैश्विक दृष्टिकोण को फिर से निर्धारित करने तथा बढ़ते सैन्य खर्च और विकास वित्त-पोषण में बढ़ते अंतराल की दोहरी प्रवृत्तियों को उलटने पर जोर देती है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- वैश्विक सैन्य व्यय: SIPRI के अनुसार पिछले साल यह $2.7 ट्रिलियन तक पहुंच गया था, और यदि मौजूदा रुझान जारी रहते हैं, तो 2035 तक इसके $6.6 ट्रिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
- वर्ष 2022-2025 के दौरान, विश्व के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इसकी हिस्सेदारी 2.2% से बढ़कर 2.5% हो गई है और सरकारी बजट में 6.6% से बढ़कर 7.1% हो गई है।
- चीन, भारत, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ का सैन्य खर्च में 70% से अधिक हिस्सा है।
- वित्त-पोषण असंतुलन: बढ़ते सैन्य खर्च के साथ विकास वित्त-पोषण तालमेल नहीं बिठा पाया है, जबकि सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के लिए वार्षिक वित्त-पोषण का अंतर बढ़कर $4 ट्रिलियन हो गया है।
- बढ़ते सैन्य खर्च का प्रभाव: यह भू-राजनीतिक तनाव को बढ़ाता है, हथियारों की होड़ को बढ़ावा देता है और संघर्ष के जोखिम में वृद्धि करता है।
- यह निर्धनता उन्मूलन, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सतत विकास लक्ष्यों के लिए आवश्यक संसाधनों को भी प्रभावित कर रहा है।
- यह सार्वजनिक ऋण के पहले से ही उच्च स्तर को और बढ़ा सकता है, जो अस्थिर एवं सबसे गरीब देशों को असंतुलित रूप से प्रभावित कर रहा है।
रिपोर्ट में की गई नीतिगत सिफारिशें
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