हालिया वर्षों में, भू-राजनीतिक तनावों के बढ़ने, रक्षा उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति में बाधा उत्पन्न होने और साइबर सुरक्षा जैसे खतरों ने रक्षा क्षेत्रक से जुड़े लॉजिस्टिक्स की सुभेद्यताओं को उजागर किया है।
- नीति आयोग ने अपने एक शोध-पत्र में निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सुधारों का सुझाव दिया है-
- रक्षा उत्पादों की निरंतर आपूर्ति में आने वाली चुनौतियों को दूर करना और
- 2029 तक देश में ही 3 लाख करोड़ रुपये मूल्य का रक्षा क्षेत्रक से जुड़ा उत्पादन करना।
भारत में रक्षा उत्पादन की स्थिति:
- स्वदेशी रक्षा उत्पादन: भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन 2023-24 में 1,27,000 करोड़ रुपये रहा। यह 2014-15 की तुलना में 174% की वृद्धि है।
- रक्षा उत्पादों का निर्यात: 2023-24 में 21,000 करोड़ रुपये मूल्य के रक्षा से जुड़े उत्पादों का निर्यात किया गया है। यह अब तक का सबसे अधिक रक्षा निर्यात है।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: 2024-25 में रक्षा निर्यात में निजी क्षेत्रक का योगदान 15,233 करोड़ रुपये रहा।
नीतिगत सिफारिशें:

- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को बढ़ावा देना चाहिए:
- मरम्मत व रखरखाव को आउटसोर्स करना चाहिए तथा अनुसंधान एवं विकास (R&D) में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक के बीच सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
- ‘सरकार के स्वामित्व में और कॉरपोरेट द्वारा संचालित (Government-Owned, Corporate-Operated: Go-Co)’ मॉडल अपनाना चाहिए। इससे निजी क्षेत्रक की कंपनियों को रक्षा क्षेत्रक की स्वामित्व वाली भूमि का औद्योगिक गतिविधियों के लिए उपयोग करने का अवसर प्राप्त होगा।
- MSMEs को प्रोत्साहन देना चाहिए और रक्षा उत्पादों की खरीद प्रक्रियाओं को सरल बनाना चाहिए। साथ ही, मंजूरी जैसी विनियामक प्रक्रियाओं में देरी को कम करना चाहिए।
- साइबर सुरक्षा रणनीतियां:
- रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर के ब्लॉकचेन सुरक्षा मानकों पर आधारित ब्लॉकचेन-आधारित सुरक्षा फ्रेमवर्क बनाना चाहिए।
- साइबर सुरक्षा ऑडिट नियमित रूप से करना चाहिए। इसके अलावा, किसी भी प्रकार के साइबर खतरे का तुरंत पता लगाने के लिए एक केंद्रीकृत प्लेटफॉर्म की शुरुआत करनी चाहिए। रक्षा खरीद प्रक्रिया में ‘स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स’ को बढ़ावा देना चाहिए।
- कानूनी और नीतिगत सुधार: रक्षा कानूनों में संशोधन करना चाहिए। इससे देश में ही रक्षा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, साइबर सुरक्षा को मजबूत मिलेगी और भू-राजनीतिक संकटों का समय रहते समाधान किया जा सकेगा। एक ऐसा ही कानून डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट (1962) है।
- विश्व के देशों के साथ रक्षा क्षेत्रक में सहयोग:
- प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान बढ़ाना चाहिए;
- संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, इजरायल जैसे देशों के साथ रणनीतिक साझेदारियों का विस्तार करना चाहिए,
- सामरिक उत्पादों की आपूर्ति के लिए किसी एक आपूर्तिकर्ता पर निर्भर रहने की बजाय कई आपूर्तिकर्ताओं पर विचार करना चाहिए।